आपको बता दें आप पांच घंटे या उससे कम सोते हैं तो सावधान हो जाइए। आप हार्ट अटैक के शिकार हो सकते हैं हृदयाघात के रिस्क फैक्टर में डायबीटीज, ब्लडप्रेशर, तनाव, अनियमित भोजन और व्यायाम शामिल है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार कम सोना और अधिक देर तक बैठना भी हार्ट अटैक के कारण हैं। इस तरह की प्रवृति युवाओं में ज्यादा देखी जा रही है।
अब हो जायें सावधान :
- हम आपको बता दें आंकड़े भी इस बात की पुष्टि करते हैं.
- मेदांता हॉस्पिटल में गत साल हुए 104 युवाओं के अध्ययन में ये बातें सामने आई है.
- इसका अध्ययन करने वाली टीम के प्रमुख व मेदांता हॉस्पिटल के डॉ. रजनीश कपूर रविवार को पटना में आयोजित.
- पटना हार्ट समिट में अध्ययन के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी.
- इनका कहना हैं कि 2015 में हॉस्पिटल में भर्ती 104 युवाओं पर अध्ययन किया गया.
- जिनकी उम्र 25 से 40 के के बीच में ही थी.
- रजनीश कपूर का कहना हैं कि जो युवा पांच घंटे से कम सोते हैं उनके हृदय पर अत्यधिक दबाव पड़ता है.
- कम सोने से तनाव बढ़ने लगता है इसका असर हृदय पर देखने को मिलता है.
- कम से कम छह से सात घंटे सोना बहुत जरूरी है जिससे हृदय का रिफ्रेशमेंट होता रहता हैं.
- हार्ट अटैक को लेकर तीन सौ ऐसे लोगों पर किया गया जो कम से कम छह घंटे तक बैठक कर काम करते हैं.
- ऐसे में काम करने वाले लोगों को बीच-बीच में अपनी जगह बदलते रहना चाहिए.
यह बीमारी बच्चों में भी होती है जाने करण:
- कपूर का कहना हैं की नई तकनीक के माध्यम से बिना सर्जरी किये हृदय का वाल्व बदला जा सकता है.
- मेदांता में ऐसे कई ऑपरेशन हो चुके हैं, जिसमें पटना का एक मरीज भी शामिल है.
- कार्यक्रम में डॉ. आरडी यादव ने हृदय की बीमारियों पर चल रहे शोध पर चर्चा की हैं.
- स्कॉर्ट हार्ट इंस्टीटयूट के डॉ. राधाकृष्ण्नन के अनुसार देश में हर साल जन्म लेने वाले बच्चों में दो लाख ऐसे होते हैं.
- जिनके हृदय की बीमारी होती है इसमें 20 प्रतिशत ऐसे होते हैं, जिनके दिल में छेद होता है.
- ऐसे बच्चों का शरीर जन्म के बाद नीला पड़ जाता है.
- बच्चों में यह बीमारी मां के गर्भ के दौरान ऑक्सीजन की मात्रा पर्याप्त नहीं मिलने के कारण होती है.
- जिन बच्चों में हृदय की बीमारी होती है, उनके लक्षण से पहचान की जा सकती है.
- इसमें मुख्य रूप से उनका शरीर नीला पड़ जाना, अक्सर रोते रहना, शरीर का वजन घटना कभी-कभी बेहोश होना शामिल हैं.
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