नई दिल्ली : घाटे में चल रही कंपनियों को बंद करना अब आसान हो जायेगा। सरकार द्वारा पेश किया गया बैंकरप्सी कोड लोकसभा में पास हो गया है और माना जा रहा है कि इस बिल के आने से जहां नई कंपनी खोलने के नियम आसान होंगे वहीं, बैंक आसानी से लोन रिकवरी भी कर पाएंगे।
बैंकरप्सी बिल की खास बातें:
- किसी कंपनी को बंद करने के बारे में 180 दिन के भीतर फैसला लेना होगा. इसके लिए 75 फीसदी कर्जदाताओं की सहमति जरूरी होगी और इस बिल से कर्जदाताओं को पैसा वसूलने में आसानी होगी.
- बैंकरप्सी और इन्सॉल्वेंसी बिल पर संसदीय कमेटी ने सिफारिश की है कि दिवालिया होने पर कंपनी की संपत्ति पर पहला हक कर्मचारियों का होना चाहिए।
- कंपनी की संपत्ति बेचने की लिए एक्सपर्ट्स की खास टीम बनाई जाएगी जो मैनेजमेंट की जगह लेगी।
- फास्ट ट्रैक अप्लीकेशन को 90 दिन में निपटाना होगा।
- कमेटी द्वारा यह भी सिफारिश की गई है कि संपत्ति बेचने से आने वाली रकम से पहले कर्मचारियों की बकाया सैलरी का भुगतान किया जाना चाहिए।
- दिवालिया हो चुकी कंपनी की विदेशी संपत्ति भी बेचने की छूट होगी, संपत्ति बेचने वाली शर्त भारत में कारोबार करने वाली विदेशी कंपनियों पर भी लागु होगा।
- इस बिल के अनुसार, घाटे से जूझ रही कंपनी का रिवाइवल करना इकलौता विकल्प नहीं होगा। इसके लिए दूसरे कदम भी उठाने का भी प्रावधान है।
- नए बिल के प्रावधान में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) और डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी) बनाना भी शामिल है।
- किसी कंपनी को आधिकारिक तौर पर समाप्त किया जा सकेगा और रजिस्टर्ड इन्सॉल्वेंसी प्रैक्टिसनर का नया सिस्टम शुरू हो सकेगा।
- यह बिल पुराने ऑब्सोलेट बैंकरप्सी कानूनों की जगह लागू होगा।
आपको बता दें कि बैंकरप्सी बिल पिछले महीने 27 अप्रैल को संसद में पेश किया गया था और इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
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