नोट बंदी की मार झेल रहे देश के मजदूर ,किसान और गरीब तबके के लोग अपने ही पैसों को वापस पाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं । देश में नोट बंदी के चलते सभी को समस्य हो रही है खास कर शादी वाले घरों में । लेकिन इनके अलावा देश में दो बड़े तबके ऐसे भी हैं जो हर तरफ से पिसते नज़र आ रहे हैं ।पहला तबका किसानों का जिनके पास फसलों की बुआई के लिए पैसा नही है । रबी के इस सीज़न में जहाँ अब तक बुआई शुरू हो जानी चाहिए थी ।वहीँ नोट बंदी इन किसानों के लिए बड़ी समस्या बनती जा रही है।
नोट बंदी के चलते कछुआ चाल से हो रही रबी फसलों की बुआई:
- 500 और 1000 रूपए नोट बैन का सबसे ज्यादा असर किसानों और दिहाड़ी मजदूरों को हुआ है।
- दिहाड़ी मजदूर जहाँ खाने तक के पैसे नही कमा पा रहा है।
- वहीँ किसान भी रबी कि फसलों की बुआई के लिए खुद को लाचार पा रहा है।
- नोट बंदी के बाद जब किसान अपनी फसलों को बाज़ार में बेंचने ले कर पहुंचात है।
- तो उसके सामने या तो पुराने नोट लेने की बात रखी जाती है या चेक पकड़ा दिया जाता है।
- बैंक में चेक कैश होने में 7 या 8 दिन लग जाता है।
- चेक कैश होने बाद जब किसान को 2000 रुपये के नए नोट पकड़ा दिए जाते हैं।
- जिसके बाद उसके सामने खुले पैसों कि समस्या खडी हो जाती है।
- जिसके लिए वो एक दुकान से दूसरी दुकान तक चक्कर काटता फिरता है।
- बीज भंडारों के सामने भी पैसों समस्या के चलते बीज का स्टाक बहुत कम है।
- ज्यादातर बीज की दुकानों के बाहर भीड़ तो है पर दुकानें बीज से खाली है।
- दुकानदारों का कहना है कि पैसे कि कमी के चलते ज़्यादातर किसान बीज खरीदने नही आ रहे हैं।
- हालांकि सरकार किसानों कि समस्या को देखते हुए बड़े कदम उठा रही है।
- पर सरकार के ये बड़े कदम किसानों कि दहलीज़ तक नही पहुँच पा रहे हैं।
दिहाड़ी मजदूरों की भी भूखों मरने वाली नौबत:
- नोट बंदी मार झेलने वाला दूसरा बड़ा तबका है दिहाड़ी मजदूरों का ।
- दिहाड़ी मजदूर जो खाने तक के लिए पैसा नही कमा पा रहे हैं ।
- दिहाड़ी मजदूरों ने आज इस महंगाई के दौर में भी अपनी दिहाड़ी कम कर दी है ताकि लोग इन्हें काम दे सकें।
- रोज़ सुबह बाज़ार में आकर ये इस उम्मीद में खड़े हो जाते हैं कि शायद आज इन्हें कोई काम मिल जाए ।
- जिससे ये अपना और अपने परिवार का पेट पाल सकें ।
- लेकिन नोट बंदी के चलते शाम को इन्हें खली पेट और खली जेब लटके मूहं और उदास मन से घर वापस लौटना पड़ रहा है ।
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