गूगल वैसे तो हमेशा ही अपने डूडल के जरिए कुछ अनोखा करता रहता है. परंतु इस बार गूगल द्वारा जो डूडल चुना गया है वह अपने आप में प्रेरणादायी है. इस बार गूगल ने भारत की पहली महिला शिक्षिका, समाज सुधारक और मराठी कवयित्री सावित्रीबाई फुले को उनके 186वें जन्मदिन पर श्रद्धांजलि दी है.
अंग्रेजों के राज में किया था महिलाओं का विकास :
- गूगल आज अपने डूडल के ज़रिये सावित्रीबाई का 186वाँ जन्मदिन मना रहा है.
- अपने डूडल द्वारा गूगल ने उन्हें एक मा के रूप में दर्शाया है.
- जैसे एक माँ अपने आंचल में अपने बच्चों को समेत लेती है.
- उसी तरह सावित्रीबाई द्वारा महिलाओं को समेटते दिखाया गया है.
- बताया जाता है कि सावित्रीबाई ने उस समय महिलाओं के विकास के बारे में सोचा, जब भारत में अंग्रेजों का राज था.
- सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र स्थित सतारा के गांव नायगांव में हुआ था.
- उस समय महिलाओं को पढ़ने की आजादी नहीं थी,
- परंतु फुले ने हिम्मत दिखाते हुए अपनी शिक्षा पूरी की थी.
- 1848 में उन्होंने पहला महिला स्कूल पुणे में खोला था.
- इसके बाद उन्होंने कई महिला स्कूल खोले और उन्हें शिक्षित किया.
- कहा जाता है कि जब वह स्कूल जाती थीं तो महिला शिक्षा के विरोधी लोग उन्हें पत्थर मारते थे,
- यही नहीं उन पर गंदगी भी फेंक देते थे.
- महिलाओं का पढ़ना उस समय पाप माना जाता था.
- परंतु सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुंचकर गंदी साड़ी बदल लेती थीं.
- दलित परिवार से संबंध रखने वाली सावित्रीबाई फुले की शादी 9 साल की उम्र में ही ज्योतिबा फुले से हो गई थी.
- उस समय फूले की कोई शिक्षा नहीं हुई थी.
- समाज में व्याप्त कुरीतियां और महिलाओं की हालत देख सावित्रीबाई फुले ने दलितों और महिलाओं को सम्मान दिलाने का प्रण लिया.
- बिना किसी आर्थिक मदद के फुले ने लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोल दिए थे.
- उस दौर में ऐसा सोच पाना भी आसान नहीं था.
- परंतु सावित्रीबाई फुले ने ऐसा करके दिखाया था.
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