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भारत में हमेशा से ही पित्रसत्तात्मक समाज रहा है, परंतु जैसे-जैसे देश आगे बढ़ रहा है इसकी सोच व परिकल्पना में भी बदलाव आने लगा है. बता दें कि बीते दिन ISRO ने विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है, इस संगठन ने बीते दिन एक साथ 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में लांच किया है. इससे पहले यह तकनीक केवल रूस के पास थी जिसके तहत उसने अब तक एक साथ 37 उपग्रह ही लांच किये थे. भारत की इस प्रसिद्धि में जहाँ एक ओर पुरुष वैज्ञानिकों का हाथ रहा, उतना ही हाथ महिला वैज्ञानिकों का भी रहा है. दरअसल भारत में महिला वैज्ञानिकों की कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है क्योकि हमारा समाज इसे मानने को तैयार नहीं होता है, परंतु जैसे अन्य दिशाओं में महिलाएं अपना नाम रौशन कर रही हैं. वैसे ही विज्ञान के क्षेत्र में भी महिलाएं अपना स्थान बनाने में कामयाब हैं. आइये जानते हैं कि ये महिला वैज्ञानिक कौन हैं…

अनुराधा टीके, इसरो उपग्रह केंद्र पर जीओसैट कार्यक्रम निदेशक :

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  • अनुराधा टीके इसरो की सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं.
  • बता दें कि अपने 34 साल के कार्यकाल में उन्होंने ऐसे-ऐसे कारनामे किये हैं जिन्हें सोचकर आश्चार्य होता है.
  • अनुराधा अंतरिक्ष में पृथ्वी के केंद्र से कम से कम 36,000किमी दूर संचार उपग्रहों को भेजने में माहिर हैं.
  • उनके अनुसार जब वे 9 साल की थीं तभी से अंतरिक्ष में होने वाली गतिविधियों में दिलचस्पी रखती थीं.
  • अनुराधा के अनुसार अपोलो लांच कार्यक्रम के दौरान जब नील आर्मस्ट्रांग छाड़ पर उतरे थे.
  • इसके घर में तब टीवी नहीं था, परंतु इसके बारे में उन्होंने अपने माता-पिता व अध्यापकों से सुना था.
  • जिससे प्रेरित होकर उन्होंने अपनी कन्नड़ भाषा में नील के लिए एक कविता लिखी थी.
  • आपको बता दें कि अनुराधा अपनी सह वैज्ञानिकों के अनुसार एक मिसाल हैं.
  • बता दें कि जब अनुराधा ने इसरो में सन 1982 में नौकरी पायी थी,
  • तब यहाँ केवल गिनती की महिलाएं थीं.
  • यही नहीं उनके इंजीनियरिंग विभाग में भी बहुत कम महिलाएं हुआ करती थीं.
  • अनुराधा के अनुसार उनके बैच में केवल 5-6 महिला इंजिनियर हुआ करती थीं.
  • जो कि अब बढ़कर इसरो के 16,000 कर्मचारियों में से 20-25% हो गयी हैं.
  • अनुराधा बताती हैं कि इसरो में किसी भी वैज्ञानिक का चुनाव उसके काम से होता है.

रितु करिधल , उप संचालन निदेशक, मंगल आर्बिटर मिशन :

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  • रितु करिधल उत्तरप्रदेश के लखनऊ की निवासी हैं.
  • वे बचपन से ही एक अंतरिश में होने वाली गतिविधियों में रूचि रखती थीं.
  • उनके अनुसार उनके मन में चंद्रमा के घटते-बढ़ते आकार को लेकर हमेशा सवाल रहते थे.
  • इसके अलावा उन्हें हमेशा से ही अंतरिक्ष के अंधकार के पीछे के रहस्य जानने की जिज्ञासा रहती थी.
  • इसी कारान उन्होंने अपनी शिक्षा के लिए विज्ञान विषय का चुनाव किया था.
  • रितु को शुरू से ही भौतिक विज्ञान व गणित में विशेष रूचि थी.
  • यही नहीं वे हमेशा ही अखबारों में इसरो व नासा में होने वाले कार्यक्रमों को ध्यान से पढ़ती थीं.
  • रितु के अनुसार परास्नातक उपाधि पाने के बाद उन्होंने इसरो में नौकरी के लिए आवेदन किया था.
  • जिसके बाद यहाँ नौकरी पाने के बाद वे अब एक वैज्ञानिक के रूप में जानी जाती हैं.
  • इसरो में काम करते हुए रितु को करीब 18 साल हो चुके हैं.
  • इन 18 सालों में उन्होंने ई तरह के कार्यक्रमों में भाग लिए है.
  • जिसमे से बहुचर्चित प्रोजेक्ट मार्स मिशन भी शामिल है.

नंदिनी हरिनाथ, उप संचालन निदेशक, मंगल आर्बिटर मिशन :

ms harinath

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  • नंदिनी इसरो की एक और गरिमावान वैज्ञानिक हैं, जिनका पहला प्रदर्शन टेलीविजन पर स्टार ट्रेक था.
  • उनके अनुसार उनकी माँ एक गणित की अध्यापिका थी साथ ही उनके पिता एक इंजिनियर थे.
  • उनके अनुसार उनका पूरा परिवार टीवी पर आने वाले स्टार ट्रेक कार्यक्रम को बेहद पसंद करता था.
  • नंदिनी के अनुसार उन्होंने इसरो में वैज्ञानिक बनने का कभी नहीं सोचा था.
  • उन्होंने बताया कि इसरो में नौकरी उनके जीवन की पहली नौकरी थी, जहाँ अब उन्हें 20 साल हो चुके हैं.
  • नंदिनी के अनुसार वे मंगल यान के अपने प्रोजेक्ट को लेकर बेहद गौरवान्वित महसूस करी हैं.
  • यही नहीं वे 2000 के नए नोट पर मंगलयान की तस्वीर को देख बेहद खुश हुई थी.
  • ऐसा इसलिए क्योकि वे खुद भी इस प्रोजेक्ट का भाग थीं.

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