जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर आतंकियों के लॉन्च पैड को तबाह कर सर्जिकल स्ट्राइक किया, तो देश गौरान्वित और रोमांचित हो उठा। लेकिन इस मिशन को अंजाम देने की कहानी बेहद भयावह थी। इसका खुलासा ‘इंडियाज मोस्ट फीयरलेस: ट्रू स्टोरीज ऑफ मॉडर्न मिलिटरी हीरोज’ नाम की किताब में हुआ है। इस किताब में पीओके में भारतीय सेना के अदम्य साहस और दुश्मनों के ठिकानों को तबाह करने की पूरी कहानी को बयां किया गया है।
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सर्जिकल स्ट्राइक के एक साल पूरे होने पर प्रकाशित हुआ किताब :
- सर्जिकल स्ट्राइक के एक साल पूरा होने पर यह किताब प्रकाशित हुई है।
- ‘इंडियाज मोस्ट फीयरलेस: ट्रू स्टोरीज ऑफ मॉडर्न मिलिटरी हीरोज’ किताब में 14 सच्ची कहानियों को शामिल किया गया है।
- जिसमें सेना के एक मेजर ने अपने अनुभव साझा कर इस ऑपरेशन को अंजाम देने की पूरी रोमांचक और खतरनाक कहानी की आपबीती बताई है।
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किताब में हुआ चौकानें वाला खुलासा :
- सर्जिकल स्ट्राइक टीम की अगुवाई कर रहे सेना के एक मेजर ने मिशन के महत्वपूर्ण और हैरान कर देने वाले अनुभवों को साझा किया है।
- सेना ने उड़ी हमले में नुकसान झेलने वाले दो यूनिटों के सैनिकों को इस ऑपरेशन में लेने का निर्णय किया।
- सेना ने पाकिस्तान से बदला लेने के लिए इन यूनिटों से ‘घटक टुकड़ी’ का गठन किया, जिन्होंने अपने जवानों को गंवाया था।
- किताब के मुताबिक, यह रणनीतिक रूप से सोचा-समझा कदम था।
- दुश्मन के ठिकानों की जानकारी उनसे बेहतर शायद ही किसी को थी, लेकिन कुछ और भी कारण थे।
- उनको मिशन में शामिल करने का मकसद उड़ी हमलों के दोषियों के खात्मे की शुरुआत भी था।
- मेजर को सर्जिकल स्ट्राइक मिशन की अगुआई के लिए चुना गया था।
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मेजर ने खुद चुनी अपनी टीम :
- किताब में कहा गया है, टीम लीडर के रूप में मेजर ने सहायक भूमिका के लिए खुद से सभी अधिकारियों और कर्मियों का चयन किया।
- उन्हें इस बात की अच्छे से जानकारी थी कि 19 लोगों की जान बहुत हद तक उनके हाथों में थी।
- इसके बाद भी मेजर अधिकारियों और कर्मियों की सकुशल वापसी को लेकर चिंतित थे।
- किताब में उनको यह याद करते हुए एक जगह कोट कर लिखा है, ‘वहां मुझे लगता था कि मैं जवानों को खो सकता हूं’।
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ऑपरेशन को अंजाम देकर सुरक्षित वापस लौटना आसान नहीं था :
- 28-29 सितंबर की रात भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक किया था।
- सर्जिकल स्ट्राइक करने से कमांडो हिचके नहीं।
- यह हमला पूरी तैयारी और तेजी के साथ किया गया।
- लेकिन सबसे मुश्किल काम इस ऑपरेशन के बाद फिर अपनी सीमा में सुरक्षित वापस लौटना था।
- भारती सेना जब अपनी सीमा में लौट रही थी, तब हर तरफ से दुश्मनों की गोलियां कान के बगल से गुजर रही थी।
- वे ऐसी पोजीशन पर थे, जहां भारतीय सेना को निशाना बनाना आसान था।
- सर्जिकल स्ट्राइक के लिए ISI द्वारा संचालित और पाक सेना की सुरक्षा से चलने वाले आतंकियों के 4 लांच पैड को चुना गया।
- मेजर के अनुसार, गोलीबारी शुरु और खत्म होने में महज एक घंटे का समय लगा।
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