प्राइवेट कंपनियों में दिन-प्रतिदिन काम के घंटे बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में काम के घंटे अधिक होने से लोगों के दिल की धड़कन के अनियमित होने का जोखिम हो सकता है। काम के घंटे को लेकर एक शोध किया है, जिसमें बताया गया है कि इस अवस्था को आट्रियल फाइब्रलेशन कहा जाता है।
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काम की अवधि को लेकर किया गया शोध :
- शोध में 35 से 40 घंटे और 55 घंटे काम करने वालों की तुलना की गई है।
- कहा गया है कि ऐसे लोग जो सप्ताह में 35 से 40 घंटे काम करते हैं।
- उनकी तुलना में 55 घंटे काम करने वालों में आट्रियल फाइब्रलेशन के होने की संभावना करीब 40 फीसदी होती है।
- यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर मिका किविमाकी ने इस संबंध में जानकारी दी है।
- कहा जो पहले ही दिल के रोगों से पीड़ित हैं, उन लोगों में अतिरिक्त 40 फीसदी जोखिम बढ़ना एक गंभीर खतरा है।
- किविमाकी ने कहा यह उन प्रक्रियाओं में से एक हो सकता है जिसे पहले के अध्ययनों में लंबे समय तक काम करने वालों में स्ट्रोक के खतरे की संभावना बताई गई है।
- आट्रियल फाइब्रलेशन स्ट्रोक के विकास व स्वास्थ्य पर दूसरे प्रतिकूल असर डालता है।
- इसमें हार्ट फेल्योर व स्ट्रोक से जुड़े डेमेंशिया शामिल हैं।
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