उत्तर प्रदेश के दादरी में हुए ‘बीफ कांड’ में नया खुलासा हुआ है।
अख़लाक़ के परिवार पर गोवध निवारण एक्ट और गैंगस्टर एक्ट:
सूबे के दादरी में बीफ कांड में एक नया मोड़ आया है। फॉरेंसिक जांच में यह पुष्टि हुई है कि, अख़लाक़ के घर में पका मीट और फ्रिज में रखा मांस गाय या बछड़े का था। जिस कारण अख़लाक़ का पूरा परिवार ‘गोवध निवारण एक्ट और गैंगस्टर धारा के तहत जेल जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम की धारा 2/3 के तहत अख़लाक़ का पूरा परिवार गोवध का दोषी है, और गोवध निवारण एक्ट के साथ ही गैंगस्टर एक्ट लगाना अनिवार्य है।
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‘बीफ की सियासत’:
दादरी में हुए बीफ कांड और उसके बाद अखलाक की हत्या ने सूबे और देश की राजनीति को दो हिस्सों में बाँट दिया था। देश की भारतीय जनता पार्टी को सांप्रदायिक घोषित करने में पार्टियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। देश के बड़े बुद्धिजीवी वर्ग ने अख़लाक़ की हत्या को देश की संप्रभुता पर हमला बताया था।
समाजवादी सरकार की तुष्टिकरण की राजनीति:
सूबे की सपा सरकार एक लम्बे समय से मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने के लिए जानी जाती है, जिसका ताज़ा उदाहरण दादरी का ‘बीफ कांड’ है। सूबे की सरकार ने न सिर्फ बीफ की फॉरेंसिक रिपोर्ट के साथ खिलवाड़ किया बल्कि अख़लाक की मौत की सियासत को और तेज करते हुए मृतक अख़लाक़ के पूरे परिवार को लखनऊ बुलाया और मुआवजा देकर उनके आंसू पूछे थे।
इतना ही नहीं अख़लाक़ के परिवार को 20 लाख रुपये नकद, बीमारी का बेहतर इलाज, नोएडा में फ्लैट देकर सपा ने उस परिवार के सबसे बड़े हितैषी होने का भरोसा जीत लिया। अब क्या मुख्यमंत्री इसका जवाब देंगे कि फॉरेंसिक जांच की रिपोर्ट क्यों बदली गयी? गौरतलब है कि, पहली रिपोर्ट में बीफ के स्थान पर मटन बताया गया था।
अख़लाक़ के परिवार पर कार्यवाई कब?
दादरी में बीफ के शक में भीड़ द्वारा एक व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डाला गया था, बेशक घटना निंदनीय है, और सम्बंधित लोगों पर कार्यवाई होनी चाहिये थी, जो हुई। करीब 15 दोषी लोगों पर आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा चल रहा है और वो जेल में हैं। अब सवाल ये उठता है कि, क्या सूबे की सरकार दोषी अख़लाक़ के परिवार पर भी कार्यवाई करेगी या फिर से सूबे की जनता मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति देखेगी।
अगर वो मॉस बकरी का न होकर गाय का ही था या किसी और जानवर का। तो क्या जो दादरी में हुआ उसे उचित मन जाये?
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