अरूणाचल प्रदेश में अपनी सत्ता गंवाने के बाद और अब उत्तराखण्ड में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने से तिलमिलाई कांग्रेस भाजपा पर लगातार हमले कर रही है। कांग्रेस प्रत्यक्ष रूप से नरेन्द्र मोदी की केन्द्र सरकार पर लोकतांत्रिक रूप से चुन कर आ रही राज्य सरकारों को अस्थिर करने का गंभीर आरोप लगाती रही है।
ऐसे समय में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार में कानून मंत्री रहें हंसराज भारद्वाज ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि 2007 में कांग्रेस की केन्द्रीय सरकार कथित तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप में तत्कालीन उत्तर प्रदेश की मुलायम सिंह की सरकार को हटाना चाहती थी।
भारद्वाज ने बताया कि पद्रेश के मुखिया मुलयम पर लगातार सरकार भंग करने का दबाव बनाया जा रहा था। कांग्रेस का कोर ग्रुप चाहता था कि मुलायम सरकार को बर्खास्त कर दिया जाए। और कई अन्य सदस्यों का मत था कि उत्तरप्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए। पर मैंने सलाह दी कि सिर्फ आरोपों के आधार पर मुलायम सरकार को बर्खास्त नहीं किया जा सकता। मैंने पार्टी के विपरीत खुले तौर पर इसका विरोध किया था।
हंसराज भारद्वाज का कहना है कि उस वक्त उन्होंने कांग्रेस का विरोध किया था, वह कांग्रेस की गलत नीतियों से परेशान थे, और 2 जी-स्पेक्ट्रम के मुद्दे पर भी कांग्रेस से असहमत थे। जिसकी वजह से ही उन्हें मनमोहन सरकार के दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया था। और इसके स्थान पर उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया।
भाजपा की केन्द्र सरकार पर कांग्रेस द्वारा आर्टिकल 356 के गलत इस्तेमाल के आरोप पर उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन इस कारण लगा क्योंकि वहां कांग्रेस में ही फूट पड़ी हुई है।