‘दंगल’ में दिखाया गया की कैसे एक पिता अपनी बेटियों को पहलवान बनाया और उन बेटियों ने भारत में ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर देश का नाम रोशन किया. अब ऐसी ही कहानी आगरा के मलपुरा स्थित सहारा गाँव से आ रही है जहाँ एक पहलवान ने कुश्ती में पदक जीतने का सपना देखा. लाख कोशिशों के बावजूद खुद वो सपना साकार करने में नाकामयाब रहे तो सोचा बेटा होगा तो उसको पहलवान बनाएंगे. लेकिन भगवान ने दे दी सात बेटियाँ. अब उस पहलवान ने अपनी बेटियों को ही बना दिया पहलवान.
सोलंकी सिस्टर्स जमा रहीं अपनी धाक-
- विशंभर सिंह सोलंकी अपने पिता को पहलवानी करते देखकर आखाड़े में आ गए.
- विशंभर का सपना था देश के लिए खेलना जिसके लिए उन्होंने खूब पहलवानी की.
- लेकिन विशंभर का ये सपना पूरा नहीं हुआ.
- उन्होंने सोचा कि बीटा होगा तो उसे पहलवान बनायेंगे.
- मगर उनको सात बेटियाँ हुई.
- एक बेटा हुआ भी जिसका सवा साल बाद निधन हो गया.
- विशंभर ने अपने सपनो को मरने नहीं दिया.
- उन्होंने अपनी पत्नी विद्यावती के साथ अपनी बेटियों को बेटों की तरह पाला और उन्हें पहलवान बनाया.
- विशंभर की सात बेटियों में से रेखा, रीना, गीता और प्रीति की शादी हो चुकी है.
- अब सीमा सोलंकी, नीलम सोलंकी और पूनम सोलंकी पहलवानी कर रही हैं.
घर में ही सीखे पहलवानी के दावं-पेच-
- नीलम बताती है कि पहलवानी के दावं-पेच घर पर ही सीखना शुरू किया.
- विशंभर ने अपनी बेटियों के लिए घर में ही अखाड़ा बना रखा है.
- नीलम ने बताया कि ट्रेनिंग सुबह चार बजे से शुरू हो जाती है.
- ट्रेनिंग के अंतर्गत कई किलोमीटर दौड़ने के बाद दंड लगाना, रस्सी चढ़ना फिर अखाड़े में प्रैक्टिस करना आता है.
- नीलम एक बार में 700 दंड लगाती हैं.
नेशनल में जीता कांस्य-
- नीलम सोलंकी ने 2015 में कर्नाटक में हुई नेशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर शहर का नाम रोशन किया.
- उनकी बड़ी बहन सीमा और छोटी बहन पूनम भी स्टेट में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं.
- स्टेट और ज़िलास्तर पर टी उनके पास मैडल की लंबी फेहरिस्त है.
- विशंभर सिंह सोलंकी की सातों बेटियाँ राष्ट्रीय स्तर की पहलवान हैं.
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