नोटबंदी के बाद भारत को नकद रहित करने पर जोर दिया जा रहा है. कैशलेस इस इस मुहीम में 1.3 अरब की जनसँख्या को डिजिटल अर्थव्यवस्था की और भेजा जा रहा है. इस समय बहुत से ऐसे उपभोक्ता है जो पहली बार प्लास्टिक मनी से रूबरू हो रहे हैं. लेकिन बता दें कि इस नए प्रयोगकर्ताओं के लिए यह एक ऐसा जोखिमपूर्ण क्षेत्र है जहाँ बहुत समझदारी की ज़रूरत होती है.
बेहद संवेदनशील है डिजिटल दुनिया-
- 2016 में भारतीय स्टेट बैंक से 32 लाख क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी कथित तौर पर चोरी हुई थी.
- आज तक जाँच एजेंसीज़ ज्यादा कुछ प्रगति नहीं कर पाई हैं.
- संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक देश में 28.7 करोड़ व्यस्क अभी भी निरक्षर हैं
- अब ऐसे में सवाल है कि ऐसे देश में नकद रहित लेनदेन में शामिल होना कैसे सुरक्षित है.
- वर्ष 2015 के एक माह में साइबर अपराधियों ने 100 से अधिक बैंकों को वैश्विक तौर पर निशाना बनाया.
- इसके साथ ही एक अरब डॉलर हथिया लिए.
- डिजिटल दुनिया का एक हिस्सा सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील है.
- ऐसे में भारत अपनी डिजिटल संपत्ति की सुरक्षा के प्रबंधन में कितना समर्थ है.
- फ़िलहाल इन चीजों का कोई सरल उपाय नहीं हैं.
- ऐसे में सारा बोझ उन प्रयोगकर्ताओं पर आ पड़ा है जिनके अपने धन को कंप्यूटर के कूट संकेतों में रखा हुआ है.
- लगभग बिना प्रशिक्षण के और बिना गहरी समझ के, नागरिकों से इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल एप्प आधारित वित्तीय लेनदेन को अपनाने के लिए कहा जा रहा है.
- ऐसे में ज़रूरी है कि डिजिटल पेमेंट करते समय सावधानी बरतें और इसकी पूरी जानकारी रखे.
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें