यूपी में चुनाव से पहले राजनीतिक दल तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं ताकि जनता को लुभाया जा सके. बीजेपी और कांग्रेस भी अब बसपा और सपा की राह पर चल पड़ी हैं. चुनाव में जीत के लिए सबका साथ सबका विकास के नारे को आगे बढ़ाते हुए बीजेपी अब दलित और पिछड़े वर्ग को लुभाने की कोशिश में है.

केशव प्रसाद मौर्या को बनाया प्रदेश अध्यक्ष:

पिछड़ों के साथ मिलकर यूपी के वापसी की उम्मीद लगाये बीजेपी ने पहले केशव मौर्या को प्रदेश अध्यक्ष बनाया. इसके बाद से चुनावी तैयारियों में एक-एक करके पिछड़े वर्ग को शामिल करते गए. बसपा से आये स्वामी प्रसाद मौर्या को बीजेपी ने शामिल कर लिया.

  • बीजेपी को अबतक पिछड़े वर्ग का साथ मिलता रहा है.
  • पीएम मोदी का कई बाद खुद को चायवाला बताना, पिछड़े और निम्न तबके को भा रहा है.
  • बीजेपी के निशाने पर वो वर्ग है जो पिछड़ा तो है लेकिन बीजेपी को अबतक इनसे वोट नही मिला है.
  • पार्टी इनको लुभाने में कोई कसर बाकी नहीं रखने वाली है.
  • बीजेपी ने नवंबर औऱ दिसंबर मे पिछडा वर्ग के प्रदेश भर मे 204 सम्मेलन करने की तैयारी में है.
  • हर विधानसभा क्षेत्र मे एक पिछडा सम्मेलन किया जायेगा.
  • लोध और कुर्मी वोट बैक उनके साथ रहा है लेकिन अब बाकी जातियों को जोड़ने की कोशिश में है बीजेपी.

कांग्रेस भी पिछड़ा वर्ग को कर रही टारगेट:

  • कांग्रेस भी 56 फीसदी पिछड़ा वोट बैंक के महत्व को समझ रही है.
  • इस पर कांग्रेस ने पिछड़ों के 27 फीसदी आरक्षण की वकालत भी शुरु कर दी है.
  • जिनको आरक्षण का ज्यादा लाभ नहीं मिल पाया उनके साथ उतरने की तैयारी में है कांग्रेस.
  • कांग्रेस ने भी प्रदेश भर मे पिछड़ों के सम्मेलन की योजना बनायी है.
  • इन सम्मेलनों का जिम्मा टीम पीके पर छोड दिया गया है.
  • जो कि लोगो से लगातार संपर्क कर उन्हें आरक्षण का महत्व समझा रही है.
  • पिछड़ों के बडे नेता राजराम पाल को इसका आयोजक बनाया गया है.

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कांग्रेस की कोशिश इस बात की है कि पिछड़ों के 20 फीसदी आबादी को कांग्रेस के साथ जोड़ा जाए. इन लोगों को अबतक आरक्षण से फायदा नही मिल पाया है. कांग्रेस इनको लेकर चुनावी रणनीति बना रही है.

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