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उत्तर प्रदेश की संगम नगरी इलाहाबाद में प्रयागराज क्षेत्र के संगम तट पर लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर स्थित है। लेटी मुद्रा में हनुमान की इस प्रतिमा को प्रयाग का कोतवाल भी कहा जाता है। पवन पुत्र की यह विशाल प्रतिमा करीब 20 फ़ीट लंबी है। पूरे भारत में यह एकमात्र ऐसा अद्भुत मंदिर है, जहाँ पर पवन पुत्र की लेटे हुई प्रतिमा है और माँ गंगा उन्हें स्नान कराती हैं। इस अद्भुत संगम को देखने और कामनाओं की सिद्धि के लिए प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। त्रिवेणी संगम पर स्नान करने गए लोगों को भी पूरा लाभ तभी प्राप्त होता है, जब वे हनुमान जी की इस प्रतिमा के दर्शन करते हैं।

घाट पर गंगा माँ द्वारा पखारे जाते हैं हनुमान जी के पाँव:

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हनुमानजी के इस मंदिर के बारे में कई कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं। उनमें से एक प्राचीन कथा के अनुसार, लंका विजय के बाद हनुमान को शारीरिक पीड़ा होने पर माँ जानकी ने उन्हें अपना सिन्दूर देकर हमेशा चिरायु और आरोग्य रहने का आशीर्वाद देते हुए कहा कि त्रिवेणी संगम पर स्नान करने वालों को पूरा लाभ तभी मिलेगा, जब वे हनुमान जी के दर्शन करेंगे। जिस कारण आज भी यहाँ पर श्रद्धालु सिन्दूर चढ़ाते हैं।

हनुमानजी की इस प्रतिमा के बारे में एक और कथा काफी प्रचलित है। इस कथा के अनुसार, एक हनुमान भक्त व्यापारी इस प्रतिमा को लेकर जलमार्ग से जा रहा था। प्रयाग के पास पहुँचते ही उसकी नाव अपने आप भारी होने लगी और संगम के पास यमुना में डूब गई। यमुना नदी के जल की धारा बदलने पर यह मूर्ति दिखाई दी।

14वीं ईंसवी में औरंगजेब ने इस मूर्ती को हटाने के लिए काफी जतन किये, लेकिन प्रतिमा अपनी जगह से हिली भी नहीं। घाट पर गंगा माँ द्वारा हनुमान जी के पाँव पखारे जाते हैं। जिसे देखने के लिए यहाँ भक्तों का तांता लगा रहता है। देश भर से भारी संख्या में श्रद्धालु  अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इस मंदिर में आकर पूजा-अर्चना करते हैं।

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