यूपी के अमेठी जिला के मुसाफिरखाना कोतवाली अन्तर्गत एक गांव के प्रधान पर गांव की ही एक किशोरी सेे घर में घुसकर दुष्कर्म का प्रयास और विरोध व शिकायत करने पर जान से धमकी देने का आरोप लगाया है। घटना को लेकर जब किशोरी के परिजन मुसाफिरखाना कोतवाली पहुंचे पुलिस ने उन्हें टरकाना शुरू कर दिया। परिजनों का आरोप है कि पुलिस मामले को दर्ज करने के बजाय समझौते कर पीड़ितों को परेशान करने में जुट गई। जिसके बाद पीड़िता के परिजनों ने पुलिस अधीक्षक अमेठी कुन्तल किशोर से न्याय की गुहार लगाई है।
क्या है किशोरी से दुष्कर्म की कोशिश का मामला
मिली जानकारी के अनुसार, पीड़िता द्वारा दी गयी तहरीर में कहा गया है कि 23 नवम्बर 2017 की रात पीड़िता के परिजन गांव में आयोजित विवाह समारोह में शामिल होने गए उसी रात लगभग 11:30 बजे ग्रामप्रधान दबे पांव आये और उसके साथ दुष्कर्म का प्रयास करने लगा। शोर सुनकर परिवार की एक महिला मौके पर पहुंच गयी। जिसके विरोध करने पर झगड़ा बढ़ गया घटना के बाद ग्राम प्रधान ने विरोध तमंचा दिखाते हुए जान से मारने की धमकी दी।
कोतवाली पुलिस पर गम्भीर आरोप
पीड़िता व परिजन ढांढस बांधते हुए 28 नवम्बर को मुसाफिरखाना कोतवाली में पहुंच इस घटना को लेकर ग्राम प्रधान के खिलाफ तहरीर दी है लेकिन परिजनों का आरोप है कि मुसाफिरखाना पुलिस मामले को दर्ज करने के बजाय मामले को टालने व परेशान में जुट गई। जिसके बाद अब पीड़िता ने पुलिस अधीक्षक अमेठी कुन्तल किशोर गहलौत से न्याय की गुहार लगाई है। किशोरी से दुष्कर्म की कोशिश)
थाना प्रभारी ने बताई ये बात
इस मामले में जब थाना प्रभारी मुसाफिरखाना राम राघव से बात की गई तो उनका कहना है कि ये मामला राजनीति के विवाद से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि वर्तमान ग्राम प्रधान विजय कुमार मिश्र आर्मी से सेवानिवृत्त हैं। उनकी उम्र करीब 50 साल के आसपास है। गांव के पूर्व प्रधान ध्रुव सिंह की उनसे अनबन चल रही है। पूर्व प्रधान उन्हें फंसाने के लिए गांव की ही एक नाई जाति के परिवार को झांसे में लेकर 16 वर्षीय लड़की की मां से तहरीर दिलवा रहा है। जबकि लड़की का कहना है कि हमने कोई तहरीर नहीं दी है।
थानाध्यक्ष का कहना है कि पूर्व ग्राम प्रधान लड़की को मां को लेकर इधर-उधर से दबाव बनाकर मुकदमा दर्ज करवाना चाहता है लेकिन थाने में अभी तक कोई तहरीर नहीं दी। हालांकि सूत्रों का कहना है कि मामला सही है लेकिन थानेदार और दारोगा मिलकर पीड़ितों को एक महीने से टरका रहे हैं। जब पीड़ित एसपी के पास गया तो उन्होंने कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद थानेदार के बोल बदले हैं। हालांकि इस मामले में कितनी सच्चाई है ये पुलिस की जांच का विषय है।