देश भर में किसानों के मुद्दे पर जमकर राजनीति हो रही है. किसान भी नेताओं के जाल में फंसकर धरना प्रदर्शन और सड़क जाम कर रहे है. लेकिन प्रधानमंत्री के संसदीय इलाके के किसान इसके विपरीत बाजार के अनुसार अपने को ढालने की जुगत में लगे हैं.
किसानों के साथ होती रही है मनमानी:
- दरअसल यहाँ के किसान अपनी मेहनत और लगन को ही अपना हथियार बना कर कुछ नया करने को सोच रहे हैं.
- जिसपर धीरे धीरे सधी चाल आगे बढ़ रहे हैं.
- ये किसान अब खुद अपने उत्पाद को बाजार में उतारने जा रहे हैं.
- जिसके तहत ये खुद की कंपनी बनाकर किसी व्यावसायिक कंपनी की तरह अपने कृषि उत्पादों की मार्केटिंग करेंगे.
- वाराणसी के किसानों को नाबार्ड के सहयोग से अदलपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र में सब्जियों की गुणवत्ता के साथ उत्पादकता को बढ़ाने और बिक्री के लिए मंडियों और बिचौलिया पर आश्रित न रह कर खुद अपना सामान ग्राहक तक पहुचाने के लिए प्रशिक्षित किया गया.
18 और 19 अगस्त को हुए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को आयोजित करने वाली संस्था प्रोग्रेसिव रिसर्च वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन के कन्हैया सिंह ने बात की.
अब नहीं भटकेगा किसान:
- उन्होंने कहा कि अब बहुत हो चुका कि किसान अपना सामान बेचने को दर दर भटके और उसपर भी सही कीमत न मिले.
- उन्होंने बताया कि आराजी लाइन और सेवापुरी का इलाका पूरे पूर्वांचल में सब्जी की उत्पदकता में आगे है.
- लेकिन उसे 3 मंडियों क्रमशः राजातालाब सुंदरपुर और चंदवा सट्टी में ही जाना पड़ता है.
- जहाँ उसका रेट बिचौलिया तय करता है और सुबह 6 बजे सब्जी लेकर पहुंचा किसान 11 बजे तक माल बेचने को भटकता है.
- क्योंकि वहाँ के आढ़तिये और बिचौलिए जान बूझकर किसानों को ये बताते है कि आज तो रेट डाउन हो गया है.
- किसान जो दूर से भाड़ा लगाकर समान लेकर आता है, वो हार कर आढ़तियों के तय रेट पर माल बेच देता है.
- ये क्रम लगातार चलता है हालात ये है कि किसानों की निर्भरता इन्ही 3 मंडियो पर हो गयी है इसलिए ये बिचौलियों के हाथ के कठपुतली बन गए है.
स्मार्ट हो रहा है किसान:
- लेकिन अब ये किसान जल्द ही खुद को एक स्मार्ट किसान के रूप में न सिर्फ ढाल रहे बल्कि आपके दरवाजे खुद इनकी डिलेवरी वैन पहुंचेंगे.
- ताजी और सस्ती सब्जियां लेकर वो भी कार्ड पेमेंट की सुविधा के साथ , ये किसान अनाज कब साथ सब्जियां और दुग्ध उत्पाद को अपने ब्रांड से बाजार में लाने की तैयारी कर रहे है.
- 5 उत्पादक कंपनियों का गठन अगले 15 दिनों में हो जाएगा जबकि वितरण कंपनी का गठन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में हो गया है.
- तो वो दिन दूर नही जब आपके दरवाजे पर खुद किसान दस्तक दे और आपको आपके रसोई की लगभग हर चीज उपलब्ध कराएँगे आपके अपने दरवाजे पर.
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