उत्तर प्रदेश में किसान की हालत लगातार पतली होती जा रहा है। गेहूं और धान खरीद के नाम पर योगी सरकार की धोखाधड़ी से प्रदेश के किसान पहले से बेहाल और नाराज थे। किसान अपनी बेवसी की दास्तान सुनाता तो रहता है लेकिन उसकी कोई सुनने को तैयार नहीं है। बेचारा किसान गरीबी की आग में झुलसने को मजबूर है। आलू के मूल्य में लगातार आ रही गिरावट से आक्रोशित किसान सड़क किनारे आलू फेंकने को मजबूर हैं। बाजारों में आलू की नई फसल की आवक बढ़ने से शीत गृहों में भरा आलू दुर्दशा का शिकार हो गया है। जिसका फिंकने के अलावा कोई चारा नहीं है। शीत गृह मालिकों ने अपने अपने शीतगृहों को खाली करने की गरज से आलू फिंकवाना शुरू कर दिया है। करीब भंडारित आलू का 15 से 20 फीसदी शीत गृह स्वामी फिंकवाने को मजबूर हैं। (potatoes)
आलू की बर्बादी के कारण किसान तबाह
- बता दें कि यूपी का इटावा जिला आलू (potatoes) उत्पादक का बहुत बड़ा क्षेत्र हो चुका है।
- काफी किसान आलू की फसल बोते हैं और उसी के जरिए अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं।
- प्रमुख आलू उत्पादक क्षेत्र होने के नाते ही जनपद में शीतगृह भी काफी संख्या में है।
- हर वर्ष व्यापक पैमाने पर जिले में आलू का भंडारण किया जाता है।
- पिछले वर्ष जिले में करीब 17500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू बोया गया था।
- जिले के चार दर्जन शीत गृहों में चार लाख मीट्रिक टन आलू भंडारण के लिए रखा गया था।
- ताकि दाम बढ़ने पर अच्छी कीमत हासिल कर सकें लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
- पूरे वर्ष आलू की कीमतों में उछाल नहीं आ सका।
- कुछ किसानों ने आलू कम भाव में समय से बेच लिया लेकिन अधिकांश किसान भाव बढ़ने का इंतजार करते रहे।
- अब स्थिति यह हुई कि शीत गृह से आलू निकालने पर उसको बेचने के बाद जेब से अतिरिक्त भाड़ा देना होता है।
- लिहाजा किसानों ने आलू नहीं निकाला।
कोल्ड स्टोरेज के मैनेजर का बयान
- एसबीएस कोल्ड स्टोरेज के मैनेजर रामविलास वर्मा ने बताया कि करीब 15 फीसदी आलू उनके शीत गृह में रह गया है।
- शीत गृह की सफाई के लिए आलू को बाहर निकाल दिया गया है।
- अब कोई खरीदार नहीं है।
- लिहाजा आलू को फेंकना ही पड़ेगा।
- आपको बता दें कि जब किसान आलू भंडारण करने आता है तो बारदाना के साथ-साथ आलू की आधी कीमत पहले ही शीत गृह स्वामी से ले लेता है।
- शेष रकम पूरा आलू बिकने पर लेता है।
- अब जो आलू शीत गृह में बच गया, उसकी आधी कीमत व बारदाना का रुपया तो शीत गृह स्वामी से लग ही गया।
- आलू को फेंकने के लिए अब अलग से भाड़ा देना पड़ रहा है।
- साथ ही भाड़ा उसे बाजार में बीज की कीमत से अधिक देना पड़ता।
- लिहाजा आलू किसानों को नई बुआई के लिए बाजार से बीज खरीदने को मजबूर होना पड़ा।
- पिछले दो साल से आलू (potatoes) की बर्बादी के कारण किसान तबाह हो गया है।
शीतग्रह का भाड़ा तक नहीं निकल रहा ( Potatoes )
- नोटबंदी के बाद से ही आलू के रेट में एकदम से गिरावट आ गई थी।
- किसानों ने इस उम्मीद के साथ नई फसल लेकर तैयार की थी कि एक दो माह में नोटबंदी का असर कम हो जाएगा।
- इसके बाद उसे आलू के अच्छे रेट मिल जाएगा।
- लेकिन उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।
- फसल आने पर आलू के भाव 300 से 350 सौ रुपए प्रति कुंटल रहे हैं।
- मजबूरन किसानों को आलू शीतगृह में रखना पड़ा।
- इस समय भी बाजार भाव 300 से 400 प्रति कुंटल है।
- आलू का जो मौजूदा भाव है, उसके हिसाब से आलू की बिक्री करने पर कोल्ड स्टोरेज का भाड़ा निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
- किसान इस उम्मीद से आलू (potatoes) की निकासी नहीं कर पा रहा है कि आगे उसे अच्छा भाव मिलेगा, लेकिन यह मुश्किल लग रहा है।
- 30 जून तक कोल्ड स्टोरेजों से मात्र 12 फीसदी आलू निकासी हुई है।
- किसान बताते हैं कि एक बीघा आलू की फसल में 15000 का खर्चा आता है।
- इसलिए उसने जेवर गिरवी रखकर के आलू की फसल पैदा की थी।
- उसे उम्मीद थी कि उसे अच्छा भाव मिलेगा लेकिन उम्मीदों पर पानी फिर गया।
- नोटबंदी के बाद से आलू की हालत खराब हुई है।
- आलू की बिक्री करने पर शीतग्रह का भाड़ा तक नहीं निकाल रहा है।
प्याज के बाद अब आलू निकाल रहा आंसू
- बता दें कि पिछले दिनों प्याज के दामों में बेतहासा बढ़ोतरी ने किसानों के आंसू निकाले अब अालू की भारी गिरावट किसानों के आंसू निकाल रही है।
- यूपी की आलू बेल्ट कहे जाने वाले आगरा , कानपुर मंडल, आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, एटा, औरेया, कानुपर देहात, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, कन्नौज आदि जिले में आलू की हालत खस्ता है।
- नौबत ये आ गई है कि अकेले आगरा मंडल में कोल्ड स्टोरेज मालिकों ने 2.5 लाख टन आलू सड़क पर फेंक दिया है।
- इस वक्त पुराने आलू का 50 किलो की बोरी 10 रुपये में मिल रही है।
- इसके अलावा किसानों को बाजार में आलू ले जाने पर भी खर्च करना पड़ता है।
- वहीं कोल्ड स्टोरेज मालिक भी 110 रुपये प्रति बोरी चार्ज करते हैं।
सड़क पर फेंका जा रहा आलू
- लागत ज्यादा होने और लाभ नहीं मिलने के कारण किसान कोल्ड स्टोरेज से पुराने आलू के स्टॉक को नहीं निकाल रहे हैं।
- कोल्ड स्टोरेज मालिकों ने भी खर्च कम करने के लिए अपने प्लांट को बंद कर दिया है, जिससे आलू सड़ने लगा है।
- इस सड़ रहे आलू (potatoes) को ही सड़क पर फेंका जा रहा है।
- आलू का उत्पाद इतना ज्यादा हो गया है कि इसको खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं और अब इसका थोक भाव 20 पैसे प्रति किलो आ गया है, जिसकी वजह से किसान और कोल्ड स्टोरेज मालिक पुराने आलू को सड़क पर फेंकने पर मजबूर हो गए हैं।
- प्याज और टमाटर की बढ़ती कीमतों के बीच आलू किसानों की मदद के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने भी किसी प्रकार की अभी तक घोषणा नहीं की है।
आलुओं को ऐसे स्टोर करें
- अधिकांश अन्य सब्जियों की तुलना में सही भंडारण तकनीक के साथ अच्छे आलू कई महीनों तक चल सकते हैं।
- यदि आप आलुओं को अधिक मात्रा में या थोक के भाव खरीदें या उन्हें अपने बगीचे से एकत्र करें, तो कुछ पल उनकी ठीक से जांच करें।
- उनमें से ऐसे आलुओं को छाटें जो छिली खाल, घाव, या कोई अन्य क्षति के साथ हैं।
- ऐसे आलुओं को संग्रहित नहीं करें।
- अच्छे आलुओं (potatoes) को एक सूखी जगह और ऐसी जगह जहां रोशनी ना हो वहां स्टोर करें।
- यदि आपने सही आलुओं को खराब आलुओं में से अलग कर लिया है तो, उन्हे एक ऐसी जगह रख दें जहां पर रोशनी और नमी ना हो।
- ये चीज़ें आलुओं को हरा या सड़ा सकती हैं।
- आलू, कम से कम तापमान 50 F (10 C) पर सबसे अच्छे रहते हैं।
- अधिकतम भंडारण के लिए, आलुओं को 35-40 F ( 2-4 C) तापमान के बीच रखना चाहिए।
- तापमान को भंडारण के लिए सामान्य से थोड़ा अधिक 50-60 F (10-15 C), बढ़ा दें।
- आलू (potatoes) को अबाधित इस तरह से रहने दें।
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें
Tags
##cold storage
#crows farmers
#Etawah
#farmers
#farming cultivators
#fresh potatoes
#kharab Aloo
#market prices
#poor farmers
#potato rates
#Potatoes
#rotten potatoes
#UP Government
#आलू
#आलू का ताजा भाव
#आलू के रेट
#इटावा
#किसान
#कोल्ड स्टोरेज
#खराब आलू
#खेती किसानी
#गरीब किसान
#मंडी का भाव
#यूपी सरकार
#रोता किसान
#सड़ा आलू
Sudhir Kumar
I am currently working as State Crime Reporter @uttarpradesh.org. I am an avid reader and always wants to learn new things and techniques. I associated with the print, electronic media and digital media for many years.