उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लगातार प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त और साफ़ सुथरा बनाने का दावा कर रही है। साथ ही पिछली सपा सरकार को भ्रष्टाचार के सवाल पर कठघरे में खड़ा कर रही है मगर अब उसी योगी सरकार को उन्हीं के कैबिनेट मंत्री के काम से बड़ा झटका लग सकता है। जी हाँ, योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी को डिफॉल्टर घोषित किया गया है।
गाजियाबाद प्राधिकरण ने किया घोषित :
योगी सरकार लगातार भ्रष्टाचार पर पिछली सरकारों को घेरने का काम कर रही है मगर अब उन्हीं की सरकार के स्टाम्प और नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल नदी ने बड़ा काम कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने यूपी के कैबिनेट मंत्री को एक योजना के अंतर्गत डिफॉल्टरों की सूची में रखा गया है। इस सूची में मंत्री नंदी समेत 100 अन्य विधायकों को रखा गया है। इनको मधुबन बापूधाम योजना के अंतर्गत प्लॉट आवंटित किए गए थे। इन सभी पर किस्त न चुकाने का आरोप है। जीडीए ने डिफॉल्टरों की सूची बनाकर विधानसभा की अंकुश समिति को भेजी है। इस इस योजना में डिफॉल्टरों की सूची बनाकर भेजने की पुष्टि सुप्रिटेंडेंट इंजीनियर एसएस वर्मा ने की है।
280 विधायकों को आवंटित हुए थे प्लाट :
बसपा सरकार 2010 में मधुबन बापूधाम योजना में करीब 280 विधायकों को प्लॉट आवंटित किए गए थे। मगर ज्यादातर विधायकों ने रजिस्ट्रेशन फीस जमा नहीं की थी। इस सूची में 22 विधायकों के नाम रजिस्ट्रेशन फीस जमा न कराने में शामिल हैं। साथ ही 90 विधायकों की रजिस्ट्री होनी बची है। वहीँ 62 विधायक अपनी किस्तें देकर रजिस्ट्री करा चुके हैं। जबकि 6 विधायकों ने प्लॉट सरेंडर कर दिए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक क़िस्त जमा न करने वाले विधायकों के पास जीडीए के लगभग साढ़े 51 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं। इनमें एक तिहाई ब्याज और बाकी किस्त की रकम है। ब्याज की रकम की माफी के लिए विधायकों ने अंकुश समिति से गुहार लगाई गयी थी।
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