हिन्दू व सनातन धर्म के अनुसार मनुष्य की मृत्यु के पश्चात उसे सरसईया पर लिटा उसे पंचतत्व में अग्नि के साथ विलीन कर उसकी अस्थियो को विधि विधान से गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार इस अस्थि कलश को घर में रखना वर्जित माना गया है। अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने में गंगा में प्रदूषण होता है। गंगा स्वच्छता मिशन के अंतर्गत गंगा में होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए कानपुर की युग दधीचि देहदान संस्था ने कानपुर के भैरव घाट स्थित शवदाहगृह पर ही 2014 को एक अनोखा अस्थि कलश बैंक खोल कर इस समस्या का हल निकालने का प्रयास किया है।
प्रदूषण रोकने के लिए कारगर होगा यह पहल
इस अस्थि कलश बैंक के विषय में जब संस्था के संचालक मनोज सेंगर से बात की तो उन्होंने बताया की इस प्रयास के साथ इस संस्था के द्वारा गंगा में प्रदूषण रोकने के लिए एक कारगर पहल भी की गई है जिस मृत ब्यक्ति का शव विधुत शवदाहगृह में अन्तेष्टि के लिए आएगा।
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साल 2014 में बनाया गया था यह अनोखे बैंक
उसे यह संस्था और यह बैंक प्राथमिकता देगी। अभी फिलहाल इस बैंक कुल तीस लॉकर ही खोले गए है और डिमांड पर लोकरो की संख्या बढ़ाई जाएगी इस बैंक के अंदर बने लॉकरों में मृत ब्यक्तियो की अस्थियो को एक माह तक पूरी सुरक्षा के साथ रखा जायेगा और इस बैंक में किसी भी प्रकार का शुल्क भी नहीं देना पड़ेगा और जो भी मृत व्यक्ति का रिस्तेदार इस बैंक के लेकर में अस्थियो को रखता है, तो उसे केवल अपना नाम पता ही बैंक के अधिकारियो को देना पड़ेगा उसके बदले उसे आइडेंटी के रूप में एक टोकन कूपन दिया जायेगा जो की अस्थियो को निकालने के पहले उसे इस अस्थि कलश बैंक के अधिकारियो को दिखाना पड़ेगा।
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जिसके बाद उसे अपने मृत रिस्तेदार की अस्थियो को दोबारा उसे सौप दिया जायेगा। इस अनोखे बैंक को 2014 में बनाया गया था । एक माह बाद भी अगर व्यक्ति अपना अस्थि कलश नही लेने आता है तो संस्था उस अस्थि कलश को भू विसर्जित कर देती है ।
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