पूरी दुनिया में चिकित्सा क्षेत्र में मशहूर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ट्रामा सेंटर में डॉक्टरों की संवेदनहीनता सामने आई है। यहां मेरठ से आया एक गरीब मरीज पैसे के अभाव में इतनी ठंड में रैन बसेरे में ठिठुरने को मजबूर है। मरीज मेरठ में एक्सीडेंट होने के कारण काफी चोटिल हो गया है। उसका मेरठ मेडिकल कॉलेज में मुफ्त में इलाज चल रहा था लेकिन हालत गंभीर होने पर उसे डॉक्टरों ने ट्रॉमा सेंटर लखनऊ रेफर कर दिया। आरोप है कि यहां मरीज के पास पैसे ना होने के कारण उसको भर्ती नहीं किया गया। हालांकि इस मामले में कोई भी जिम्मेदार बोलने को तैयार नहीं है।
गरीब मरीज के इलाज में केजीएमयू प्रशासन की दिखी लापरवाही
पीड़ित परिवार का कहना है कि केजीएमयू के डॉक्टर और पीआरओ की संवेदनहीनता के चलते उन्हें भर्ती नहीं किया गया।मीडिया के हस्तक्षेप के बाद भी केजीएमयू प्रशासन 2 दिन बीत गया लेकिन नहीं जागा। सुबह से शाम हो जाती है लेकिन भर्ती नहीं किया गया। आखिरकार मजबूर परिवार केजीएमयू परिसर के अंदर बने रेन बसेरे में ठंड से ठिठुर रहे हैं। लेकिन गरीब मरीज को एडमिट नहीं किया गया। पीड़ितों ने बताया कि उन्हें काफी दिनों बाद इलाज मिला लेकिन फिर ट्रॉमा के बाहर निकाल दिया गया।
आठ माह से कुछ नहीं खा पा रहा मरीज
बता दें कि मेरठ के मुल्तान नगर निवासी सतीश सिंह (24) बीते 10 मई को हादसे में जख्मी हो गए थे। वह 8 माह से कुछ नहीं बोल पा रहे हैं न खा पा रहे हैं। करीब 2 माह तक मेरठ मेडिकल कॉलेज में भर्ती रहे। इलाज से कोई फायदा नहीं होने पर डॉक्टरों ने उसे पीजीआई रेफर कर दिया। परिजन बुधवार तड़के करीब 3:00 बजे PGI की इमरजेंसी लेकर पहुंचे तो वहां से डॉक्टरों ने भर्ती करने से मना कर दिया। इसके बाद परिजन एंबुलेंस मरीज को लेकर बुधवार करीब 5:00 बजे इलाज के लिए ट्रामा सेंटर आए। यहां इमरजेंसी में भर्ती होने पर रेजिडेंट ने जांच कराने के लिए पर्चे थमा दिए।
झूठ बोल रहे ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी
इस मामले में ट्रॉमा सेंटर प्रभारी डॉ. हैदर अब्बास का कहना है कि मरीज को भर्ती कर उसका इलाज नि:शुल्क किया जा रहा है। लेकिन तस्वीरें इसकी हकीकत अलग ही बयां कर रही हैं। रुपए न होने पर घरवाले पीआरओ के पास पहुंचे। पीआरओ ने भी हाथ खड़े कर दिए। इसे लेकर परिवारीजन और पैरों में कहासुनी भी हो गई। फिलहाल मरीज रैन बसेरे में जिंदगी मौत की जंग से जूझ रहा है। लेकिन उसकी फरियाद कोई सुनने वाला भी नहीं है। एक तरफ योगी सरकार गरीबों के लिए काफी मदद करने का दावा कर रही है। लेकिन जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ध्वस्त नजर आ रही हैं।