हर साल डायरिया से राजधानी में दर्जनों मौतें हो जाती हैं। यह देखते हुए डायरिया की रोकथाम का एक प्रयास टुड़ियागंज स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के डॉक्टरों ने किया है। डॉक्टरों ने डायरिया रोकथाम के लिए ख़ास के बच्चों के लिए यह सीरप बनाया है। इस सीरप की डॉक्टरों नाम दिया है बालातिसार सीरप। आयुर्वेद अस्पताल की डॉ. कल्पना का कहना की ये सीरप अस्पताल के डॉक्टर्स द्वारा ही बनाया गया है जिससे बच्चों को डायरिया से बचाने में मदद मिलेगी।
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आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी है इसका जिक्र
- राजधानी के अस्पतालों में मानसून की दस्तक के साथ ही डायरिया के मरीजों की संख्या में इजाफा हो चुका है।
- डायरिया के मरीजों में सबसे ज्यादा बच्चे ही आते हैं।
- साथ ही ये बच्चों के लिए कई बार घातक भी हो जाता है।
- बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. लक्ष्मी बताती हैं कि इसे एक महीने के प्रयास के बाद बनाया जा सका है।
- इसका जिक्र आयुर्वेद ग्रंथों में भी है लेकिन चूर्ण रूप में उपलब्ध होने के कारण बच्चे इसे खा नहीं पाते थे।
- इसी वजह से इसे सीरप के रूप में आयुर्वेद के डॉक्टरों ने इसे बनाया है।
- यह मीठी दवा है जो बच्चों को स्वाद में भी अच्छी लगती है।
- रस शास्त्र और बाल रोग विभाग के डॉक्टरों के सहयोग से ही इसे बनाना संभव हो सका है।
मरीजों को दिया जा रहा निशुल्क
- बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रमेश गौतम बताते हैं कि यह सीरप पहले तो बालातिसार नाम से केवल बच्चों के लिए ही था।
- लेकिन, जब बच्चों को इससे फायदा हुआ तो से अन्य रोगियों के लिए भी इसे बनाना शुरू कर दिया।
- यहाँ आने वाले मरीजों को इसे निशुल्क दिया जाता है।
- अभी इसे इतनी मात्रा में नहीं बनाया जा सका है कि इसकी सप्लाई बाजार में भी हो सके।
- इसलिए अभी यह केवल आयुर्वेद अस्पताल में ही उपलब्ध है।
क्या है सीरप में
इस सीरप में लोध्र, बिल्ब या बेल, धाय का फूल व गजपिप्पली का मिश्रण है जो डायरिया में लाभकारी है।
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