उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister) केशव प्रसाद मौर्य अब केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में आ सकते हैं। कारण राजनीतिक भी है और सरकारी भी। दरअसल, महज चार महीने होते होते प्रदेश सरकार में शीर्ष स्तर पर टकराव की स्थिति बनती दिख रही है। विपक्षी एकता और गठजोड़ की कवायद के बीच भाजपा मौर्य के संसदीय क्षेत्र फूलपुर में फिलहाल चुनाव से भी बचना चाहेगी। ऐसे में अगले महीने ही मौर्य को दिल्ली लाया जा सकता है। अगले महीने मोदी कैबिनेट के विस्तार की संभावना है।
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राज्यसभा से इस्तीफा दे चुकी हैं बसपा सुप्रीमो
- बसपा सुप्रीमो मायावती राज्यसभा से इस्तीफा दे चुकी हैं।
- उनकी ओर से कोई एलान तो नहीं हुआ है।
- लेकिन यह अटकलें तेज हैं कि मौर्य के इस्तीफा देने की स्थिति में वह फूलपुर से लोकसभा का उपचुनाव लड़ सकती हैं।
- 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव का जो आंकड़ा रहा है उसके अनुसार सपा, बसपा और कांग्रेस का संयुक्त वोट भाजपा के लिए खतरनाक होगा।
- उससे भी ज्यादा खतरे की बात यह होगी कि चुनाव से डेढ़ दो साल पहले ही विपक्षी एकता की जड़ें पनपने लगेंगी।
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- इसको टालने का सिर्फ एक तरीका मौर्य का सांसद बना रहना है।
- लेकिन उस स्थिति में उन्हें दो महीने के अंदर प्रदेश सरकार से हटना होगा।
- सूत्रों की मानी जाए तो एक दूसरा कारण प्रदेश सरकार के भीतर का बनता-बिगड़ता समीकरण भी है।
- बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच सब कुछ सहज नहीं है।
- यहां तक कि मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में भी इसकी झलक दिखी।
- सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने मौर्य के कामकाज को लेकर सवाल उठाया।
- ध्यान रहे कि प्रदेश सरकार गठन को अभी चार महीने भी नहीं हुए हैं।
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- भाजपा (Deputy Chief Minister) कभी नहीं चाहेगी कि प्रदेश सरकार के अंदर की आपसी खींचतान का असर 2019 लोकसभा चुनाव पर दिखे।
- गौरतलब है कि अगस्त के तीसरे सप्ताह में मोदी कैबिनेट के विस्तार की संभावना है।
- कैबिनेट स्तर पर जहां कुछ मंत्रियों पर दो दो बड़े मंत्रलयों की जिम्मेदारी है तो वहीं आगामी कई विधानसभा चुनावों के लिहाज से भी कुछ नए चेहरे लाए जा सकते हैं।
- भाजपा युवा मोर्चा में 40 पार कर चुके किसी भी पदाधिकारी के लिए अब युवा मोर्चे में जगह नहीं होगी।
- सभी प्रदेश इकाइयों को केंद्र की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि ऐसे पदाधिकारियों की पहचान कर उन्हें ड्रॉप करें।
- जिला (Deputy Chief Minister) और तहसील स्तर पर नियम और सख्त होंगे, वहां अधिकतम उम्र 30 साल होगी।
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