गोरखपुर/लखनऊ. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में काम करने वाले डॉ. कफील को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह के मैसेजे शेयर किए जा रहे हैं. कहीं उन्हें पीडियाट्रिक विभाग का हेड बताया जा रहा है तो कहीं उन्हें मेडिकल कॉलेज से ऑक्सीजन सिलेंडर चोरी करने का आरोपी. मगर ‘uttarpradesh.org’ की पड़ताल में डॉ. कफील से सम्बंधित कई तथ्यों का खुलासा(doctor kafil truth) हुआ है जिसे जानना बहुत जरूरी है.
डॉ० कफील का ‘सच'(doctor kafil truth):
- डॉ. कफील बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग में हेड के पद पर तैनात नहीं थे.
- मेडिकल कॉलेज की आधिकारिक वेबसाइट में पीडियाट्रिक विभाग में तैनात डॉक्टर्स की सूची में भी डॉ. कफील का नाम दर्ज नहीं था.
- हकीकत तो यह है कि पीडियाट्रिक विभाग की प्रमुख डॉ. महिमा मित्तल हैं.
- यही नहीं सोशल मीडिया पर डॉ. कफील को बीआरडी का वाइस प्रिंसिपल तक बताया जा रहा है जो पूरी तरह से मनगढ़ंत बात है.
- डॉ. इंसफेलाइटिस वार्ड के अधीक्षक का पदभार संभाल चुके हैं.
- हालांकि, उनका कार्यकाल 2 मई, 2016 से लेकर 8 अगस्त, 2016 तक ही था.
- वर्तमान समय में डॉ. कफील नोडल NHRM के तहत मेडिकल कॉलेज में तैनात थे.
- उनकी जिम्मेदारी फिलहाल सिर्फ सेलरी और उपस्थिति की देखरेख की थी.
- यही नहीं इंसफेलाइटिस वार्ड के वर्तमान समय में इंचार्ज डॉ. भूपेंद्र शर्मा थे.
- साथ ही, पुष्पा सेल्स की ओर से भेजे गए तमाम रिमाइंडर में डॉ. कफील का कहीं कोई जिक्र नहीं है. पुष्पा सेल्स ने अपने सभी 14 रिमाइंडर डायरेक्टर जनरल चिकित्सा शिक्षा, मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल व एचओडी को ही भेजे हैं.
- ऐसे में डॉ. कफील को लेकर जो भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं कि वे अस्पताल में दवाइयों व ऑक्सीजन की खरीद का जिम्मा निभाते थे वह पूर्णतया निराधार साबित हो जाता है.
- यहां यह जानना जरूरी है कि BRD में ऑक्सीजन सप्लाई का काम मैनटेनेंस डिपार्टमेंट के तहत होता था, जिसके प्रमुख एनेस्थिसिया विभाग के HOD डॉ. सतीश कुमार थे. यानी डॉ. कफील का ऑक्सीजन की खरीद से कोई वास्ता नहीं था.
- बता दें कि डॉ. कफील को संस्थान के मात्र एक खरीद समिति (Purchase Committee) का सदस्य नियुक्त किया गया था जो वामर्स (Warmers) से सम्बंधित था.
- यह कमेटी भी मई-जून 2017 तक के लिए बनाई गई थी. इस कमेटी में इस दौरान वार्मर्स के तहत कोई खरीद नहीं की गई थी.
- एक तथ्य यह भी है कि BRD मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई लिक्विड में की जाती थी जो टैंक में भरकर अस्पताल लाई जाती थी. ऐसे में डॉ. कफील अस्पताल से ऑक्सीजन कैसे चुरा सकते थे?
- यही नहीं डॉ. कफील को सोशल मीडिया पर NICU का इंचार्ज भी बताया जा रहा है मगर सच तो यह है कि इस विभाग की प्रमुख डॉ. रचना भटनागर थीं.
- वहीं, डॉ. कफील पर वर्ष 2015 में लगे बलात्कार के आरोप में पुलिस ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में साफ-साफ दर्शाया था कि उक्त प्रकरण में उनके भाई के कारोबारी दुश्मनों ने झूठा आरोप लगवाया था.
- पुलिस की इस रिपोर्ट को कोर्ट ने भी स्वीकार करते हुए सारे आरोप झूठे करार दिए थे.
- वहीं, डॉ. कफील के बारे में यह भी कहा जा रहा है कि वह मेडिकल कॉलेज में रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस किया करते थे. इस बारे में भी सोशल मीडिया पर एक विज्ञापन को प्रसारित किया जा रहा है.
- मगर हकीकत तो यह है कि जुलाई 2016 तक ही डॉ. कफील प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे थे. विज्ञापनों में दिखाई गई तारीखों में भी इसकी पुष्टि की जा सकती है.
- साथ ही, उक्त नसिंग होम में उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं जो वहां पर लोगों का इलाज किया करती थीं.
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Divyang Dixit
Journalist, Listener, Mother nature's son, progressive rock lover, Pedestrian, Proud Vegan, व्यंग्यकार