पूर्व राज्यसभा सांसद और प्रख्यात शायर बेकल उत्साही का आज इंतकाल हो गया। उन्होंने आज सुबह नई दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली। इसी के साथ जैसे शेरो शायरी में गंगा जमुनी तहजीब का एक सूर्य अस्त हो गया। उनके इंतकाल की जानकारी उनके पुत्र ने दी।
- ब्रेन हैमरेज के चलते बेकल को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
- बृहस्पतिवार दोपहर 1.30 बजे उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था।
- अस्पताल में उन्हें जीवनरक्षक उपकरणों के सहारे रखा गया था।
- लेकिन आज सुबह वह इस दुनिया को छोड़कर विदा ले गये।
- बेकल उत्साही के निधन के बाद साहित्य जगत में शोक की लहर है।
- उनका पार्थिव शरीर आज दिल्ली से बलरामपुर लाया जाएगा।
- उनके पुत्र ने बताया कि आज शाम तक बलरामपुर में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
1986 में बने राज्यसभा सदस्यः
- पद्मश्री शायर बेकल उत्साही ने उर्दू और हिन्दी भाषा का पूरा सम्मान किया।
- इसके साथ ही स्थानीय भाषा के इस्तेमाल से उन्होंने गज़ल और शेरो शायरी को नई दिशा दी।
- बेकल के साहित्यिक सेवाओं में विशेष योगदान के लिए 1976 में उन्हें राष्ट्रपति ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया।
- इसके बाद पद्मश्री बेकल उत्साही को कांग्रेस ने अपने कोटे से 1986 में राज्यसभा भेजा था।
- उन्होंने 1952 में विजय बिगुल कौमी गीत, 1953 में बेकल रसिया लिखी।
- इसके बाद उन्होंने गोण्डा हलचल प्रेस, नगमा व तरन्नुम, निशात-ए-जिन्दगी, नूरे यजदां, पुरवईयां, कोमल मुखड़े बेकल गीत, अपनी धरती चांद का दर्पण जैसी कई किताबें लिखीं।
- बेकल की लिखी पक्तियां उन्हें जन्म जन्मान्तर तक जिंदा रखेंगी।
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें