यूपी में शिक्षा और शिक्षण संस्थानों का बुरा हाल है. नक़ल माफियाओं ने शिक्षा व्यवस्था का मजाक बनाकर रख दिया है. बोर्ड परीक्षा के दौरान नक़ल महोत्सव का नजारा अलग ही होता है. वहीँ अगर शिक्षण संस्थानों की बात करें तो स्थिति नारकीय हो चली है.

इसका उदाहरण बलिया के राजकीय कन्या इंटर कॉलेज की दीवारें हैं, जो चीख-चीखकर अपनी बदहाली बयान करती हैं. लेकिन इनकी चीख शायद दीवारों में ही सिमट कर रह जाती है और प्रशासन तक इसकी आवाज नहीं जाती है.

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चितबड़ागांव का राजकीय कन्या इंटर कॉलेज है बेहाल:

  • सूबे के अंतिम छोर पर बलिया जिला के चितबड़ागांव में राजकीय कन्या इंटर कॉलेज है.
  • 58 वर्ष पुराने इस राजकीय कन्या इंटर कॉलेज की हालत दयनीय है.
  • ये कॉलेज लगातार उपेक्षा का शिकार रहा है.
  • इस कॉलेज कैंपस के पास मानों जंगल खुद चलकर आ गया है.
  • कॉलेज के बाहर बस खड़ी रहती है क्योंकि तेल के पैसे नहीं हैं कॉलेज प्रशासन के पास.
  • कॉलेज में पढ़ने आने वाली छात्राओं को चितबड़ागांव बाजार की उबड़-खाबड़ सड़कों से गुजरना पड़ता है.
  • बस के खड़े रहने के कारण उन्हें पैदल कॉलेज जाना पड़ता है.
  • RTI एक्टिविस्ट संतोष तिवारी ने इस मामले को कई दफा उठाया था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

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  • इलाके का ये हाल है कि थोड़ी सी बारिश और इलाका जलमग्न हो जाता है.
  • वैसे कहने को तो बलिया में सरकार का कोई न कोई प्रतिनिधि हमेशा मौजूद रहता है.
  • मंत्रियों की फ़ौज पिछले शासन में बलिया जिले में हुआ करती थी.
  • वहीँ इस इलाके से वर्तमान भाजपा विधायक और मंत्री उपेंद्र तिवारी हैं.
  • कॉलेज की बदहाली पर शिक्षा विभाग भी मौन है.
  • सरकारी कॉलेज की ये स्थिति को देखने के बाद यूपी में शिक्षा व्यवस्था की दयनीय हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है.
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