यह बात सच है कि अपनी औलाद के लिए लोग क्या-क्या नहीं कर डालते। ऐसा ही एक मामला समाजवादी पार्टी के कार्यालय में देखने को मिला। यहां एक दुखियारा परिवार अपने बेटे के इलाज के दर-दर की ठोकरें खा रहा है। लेकिन उसको एक मेडिकल कार्ड बनवाने के लिए कोई मदद नहीं कर रहा है।

लाखों की लक्जरी कारें महज दिखावा, खद्दरधारी नेताओं के पास गरीब के लिए नहीं फूटी कौड़ी

  • इस गरीब की कहानी ऐसी है कि इसका दर्द बयां करने के लिए हमारे पास भी शब्द नहीं हैं।
  • बाराबंकी जिले के रहने वाले इस शख्स का ऋषि नाम के बेटे का संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में इलाज होना है।
  • उसके पेट का बड़ा ऑपरेशन हुआ है, लेकिन दवा के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं।
  • पीड़ित का कहना है कि यहां के डॉक्टर निर्मल गुप्ता का कहना है कि आप को दवा तो मिल जाएगी लेकिन इसके लिए आप को मेडिकल कार्ड बनवाना होगा।
  • लेकिन इस गरीब के पास पांच सौ रुपये तक नहीं हैं जो मेडिकल कार्ड बनवा ले।
  • पीड़ित ने बताया कि उसके पास पिछली मायावती सरकार का कार्ड है इसमें करीब 73 हजार रूपये भी हैं लेकिन सपा सरकार में यह कार्ड मान्य नहीं है।
  • पीड़ित बाराबंकी से दृष्टिहीन पत्नी और बच्चों के साथ रोज पैदल चलकर सपा कार्यालय तक आता है।
  • यहां तमाम छोटभैये से बड़े नेता मिलते तो हैं लेकिन पैसों की बात आते ही नजरे चुराकर भागने लगते हैं।
  • इन नेताओं के पास लाखों रुपये की लक्जरी गाड़ियां और चमचमाता हुआ सफेद कुर्ता-पजामा के अलावा जूते और शरीर पर एक सदरी भी दिख जायेगी लेकिन इनकी जेब में किसी गरीब को देने के लिए फूटी कौड़ी तक नहीं है।

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नरेश उत्तम ने कहा यहां मत रोना सुनाओ, कार्यालय के बाहर जाओ

  • सोमवार को पार्टी कार्यालय में सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम की भी संवेदन हीनता साफ दिखी।
  • उनके जाने के दौरान पचासों नेताओं की फौज ठांठ से खड़ी थी।
  • दुखियारे गरीबों ने लक्जरी कार में बैठे ‘नेता जी’ से हाथ जोड़कर रोते हुए बेटे के इलाज की दवा के लिए मदद मांगी तो उन्होंने उसे तानाशाही दिखाते हुए चेतावनी दी कि कार्यालय से बाहर निकल जाओ यहां रोना मत सुनाओ अब यहां कभी न दिखाई पड़ जाना।
  • प्रदेश अध्यक्ष के मुंह से यह बात सुनकर सभी आश्चर्यचकित थे।

हमारे चीफ फोटो जनर्लिस्ट ने की मदद

  • सपा कार्यालय में कवरेज करने गए uttrpradesh.org के चीफ फोटो जनर्लिस्ट आशीष पांडेय ने जब यह नजारा देखा तो उन्होंने दुखियारे परिवार की पूरी बात सुनी।
  • उन्होंने गरीब परिवार को पैसे देकर मेडिकल कार्ड बनवाने के लिए मदद की।
  • इसके बाद परिवार अपने घर के लिए चला गया।
  • अब देखना यह होगा कि इस गरीब को अधिकारी मेडिकल कार्ड बनाकर देंगे या नहीं।
  • यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

सीएम के दावे कुछ और जमीनी हकीकत कुछ अलग

  • मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भले ही अपनी चुनावी रैलियों में वोटरों को रिझाने के लिए तमाम योजनाओं के बारे में गिनाते हों।
  • अक्सर आपने सुना होगा कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का दावा अपने हर कार्यक्रम में करते हैं।
  • लेकिन इसकी एक हकीकत सोमवार को समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यालय में दिखी।
  • आखिर इसका जिम्मेदार कौन है, डॉक्टर या अधिकारी? यह एक बड़ा सवाल है।
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