किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में आने वाले मरीजों को रोजाना नयी नयी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बीते दिनों ट्रामा सेण्टर में आग लगने के बाद मरीजों का सारा सामान जलकर खाक हो गया था। वही अस्पताल में भी लाखों की दवाये जल जाने से मरीजों को दवाएं बाहर से खरीदनी पद रही थी। और अब केजीएमयू के डेंटल विभाग में मरीजों को सस्ती दवाएं भी नहीं मिल रही हैं।दांतों के इलाज में डॉक्टर्स कि सामान्य दवाएं भी अस्पताल के मेडिकल स्टोर में नहीं हैं। ऐसे में मरीजों को ये दवाएं भी बाज़ारर से खरीदनी पद रही है।
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तीन महीने से है दवा का अभाव
- ऐशबाग निवासी रोहित अपनी बेटी के इलाज के लिए केजीएमयू के डेंटल विभाग में आये थे।
- उन्होंने बताया कि उन्हें डॉक्टर ने चार दवाएं लिखी थी जिनमे से मात्र एक दवा ही उन्हें मिली।
- जानकारी के मुताबिक बीते करीब तीन चार महीने से यहाँ पर दवाओं का संकट बना हुआ है।
- इससे रोजाना मरीजों को इलाज के बाद पूरी दवा नहीं मिल पाती है।
- उन्होंने बताया कि कई बार चक्कर काटने के बाद अब बेटी को दिखा पाए।
- डॉक्टर ने इलाज के लिए 251 रुपये जमा कराये थे।
- वही पचास रुपये का कार्ड, एक रुपये का पर्चा आैर दो सौ रुपये दांत उखड़वाने की फीस जमा की है।
- इतना पैसा खर्च करने के बाद भी पूरी दवा नहीं मिल रही है जबकि सभी दवाएं मिलनी चाहिए।
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- जब रोहित ने इसकी शिकायत डॉक्टर्स से की तो वो खुद दवा काउंटर पर पहुंचे।
- दवा काउंटर के पास मरीजों को मिलने वाली दवा को उन्होंने देखा।
- दवा काउंटर पर तैनात कर्मचारी ने कई अन्य मरीजों को भी एक ही दवा दी।
- किसी भी मरीज को पूरी दवा नहीं दी जा रही थी।
- डाक्टर ने पर्ची पर एममोक्सी क्लेव, ब्रुफेन, बी काम्लेक्स आैर मैट्रोजिल लिखी थी।
- इसमें एक ही दवा ब्रुफेन मिली। सूत्रों की माने तो तीन-चार माह से दवाओं का संकट बना है।
- खास बात यह है कि इनकी एक गोली की कीमत थोक भाव में एक रुपये से कम है।
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