भले ही उत्तर प्रदेश में राजधानी के लक्ष्मण मेला मैदान में (reality check shikshamitra) प्रदेश भर से आए लाखों की तादात में शिक्षामित्र और उनके परिवार वाले भी प्रदर्शन कर रहे हैं। वह निजी प्राइवेट वाहनों से लक्ष्मण मेला मैदान में आए हैं। इन प्रदर्शनकारियों की वजह से शहर भर में जाम लग रहा है क्योंकि इनके वाहन आड़े-तिरछे मन मर्जी के मुताबिक सड़कों पर पार्क किए जा रहे हैं।
- वही अपनी नेतागिरी चमकाने आए शिक्षामित्रों के नेता लग्जरी वाहनों से चल रहे हैं।
- इन छुटभइये नेताओं पर आरोप है कि यह शिक्षामित्रों को बेवकूफ बनाकर चंदे के नाम पर पैसा इकट्ठा करके धन उगाही कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। देखिए यह खास वीडियो…
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शिक्षामित्रों का अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन (shikshamitra satyagrah protest) मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। शिक्षामित्रों का कहना है कि 10000 रुपये मानदेय का झुनझुना स्वीकार नहीं करेंगे। शिक्षामित्र समान कार्य-समान वेतन से कम पर कोई समझौता नहीं करेंगे। इनकी मांग है कि केंद्र व राज्य सरकार संशोधित अध्यादेश लाकर प्रदेश के सभी 1,72,000 शिक्षामित्रों को पुनः शिक्षक बनाए। शिक्षामित्रों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द मांगें नहीं मानी गईं तो जेल भरो आंदोलन करेंगे और पूरा लखनऊ जाम कर देंगे।
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परिवार संग कर रहे प्रदर्शन
- शिक्षामित्रों के सभी संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में प्रदेश के सुदूर अंचलों से आए लाखों शिक्षामित्रों ने अभी नहीं तो कभी नहीं, शिक्षक बन कर बनने आए हैं शिक्षक बन कर ही जाएंगे, के संकल्प के साथ अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन के दूसरे दिन भी लक्ष्मण मेला मैदान में डटे हुए हैं।
- प्रदर्शनकारी भीषण गर्मी व उमस की परवाह न करते हुए महिलाएं छोटे-छोटे बच्चों के साथ दो दिन से धरना स्थल पर ही डेरा डाले हुए हैं।
- बता दें कि 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा समायोजन रद्द कर देने से शिक्षामित्रों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
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- समायोजन रद्द होने के बाद से ही शिक्षामित्र संशोधित अध्यादेश लाकर पुनः सहायक शिक्षक बनाने व प्रक्रिया पूर्ण होने तक समान कार्य समान वेतन देने की मांग करते हुए जिला स्तर पर आंदोलन कर रहे हैं।
- इस बीच कई दौर से वार्ता के बाद भी कोई हल ना निकलता देख शिक्षामित्रों ने 21 अगस्त को गोमती तट पर प्रदेशव्यापी अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन का ऐलान कर दिया।
- आंदोलन के पहले दिन शासन प्रशासन ने कई बार मुख्य सचिव राज प्रताप सिंह से वार्ता कराने का प्रस्ताव रखा।
- किंतु शिक्षामित्र (reality check shikshamitra) मुख्यमंत्री से वार्ता करने पर ही अडिग रहे।
- 21 अगस्त की देर शाम अपर मुख्य सचिव ने शिक्षामित्रों के मूल पर प्रभाव से ₹10000 मानदेय देने, शिक्षामित्र कार्यालय का प्रति सत्र 2.5 अधिकतम 25 अंक भारांश देने और 15 अक्टूबर 2017 को शिक्षक पद पात्रता परीक्षा टीईटी परीक्षा आयोजित कराने का आदेश जारी कर दिया। जिसमें शिक्षामित्रों की खासा रोष बढ़ गया।
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क्या बोले शिक्षा मित्र नेता
- प्रदेश अध्यक्ष जीतेन्द्र शाही ने प्रदेश सरकार को ललकारते हुए कहा कि मनमाने ढंग से जारी किए गए मुख्य अपर सचिव के आदेश को कतई स्वीकार नहीं करुंगा।
- ₹10,000 मानदेय का झुनझुना नहीं चाहिए।
- समान कार्य समान वेतन से काम पर कोई समझौता स्वीकार नहीं करुंगा।
- वहीं प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला ने प्रदेश सरकार की हठधर्मिता पर अफसोस व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रपति उत्तर प्रदेश से प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश के गृह मंत्री उत्तर प्रदेश और केंद्र व प्रदेश में सरकार भी भारतीय जनता पार्टी की है।
- फिर भी उत्तर प्रदेश का शिक्षक सड़कों पर आंदोलन करने को बाध्य हैं। इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है।
- उन्होंने मांग की है कि राज्य व केंद्र सरकार मिलकर संशोधित अध्यादेश लाकर प्रदेश के 172000 शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनाए।
- उन्होंने कहा प्रक्रिया पूर्ण होने तक समान कार्य समान वेतन का लाभ सभी से शिक्षामित्रों को प्रदान किया जाए अन्यथा अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन (reality check shikshamitra) जारी रहेगा।
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