उत्तर प्रदेश की पिछली सरकारों के घोटाले दिन-ब-दिन सामने आ रहे हैं. अखिलेश यादव सरकार में हुए घोटालों के अलावा मायावती सरकार में हुए घोटाले भी सामने आ रहे हैं. इसी प्रकार का एक घोटाला नोएडा एक्सटेंशन का सामने आया है. करोड़ों का ये घोटाला जमीन के अधिग्रहण से जुड़ा है.
नोएडा एक्सटेंशन में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार:
- नोएडा में 16 गांव की जमीन का अधिग्रहण हुआ था.
- लेकिन इस अधिग्रहण के बाद अफसरों का बड़ा घोटाला सामने आया है.
- अफसरों ने इंडस्ट्रियल यूज की लैंड रेजिडेंशियल कर दी थी.
- इसके कारण 2000 करोड़ का लैंड डेवलपमेंट पानी में गया.
- ये पूरा का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर इंडस्ट्रियल यूज के लिए बना था.
- तत्कालीन प्रमुख सचिव ने जांच के बाद इसकी रिपोर्ट दी थी
- इस घोटाले में तत्कालीन 5 बड़े अफसरों पर आरोप था.
इंडस्ट्री की जमीन बिल्डर प्रोजेक्ट में दी:
- तत्कालीन चेयरमैन मोहिंदर सिंह समेत 5 बड़े अफसरों पर घोटाले का आरोप है.
- इसमें इंडस्ट्री की जमीन बिल्डर प्रोजेक्ट में देने का आरोप भी है.
- उस वक्त सूबे में मायावती की सरकार थी और अरबों के घोटाले की बात सामने आयी है.
- अप्रैल 2012 में प्रमुख सचिव ने रिपोर्ट दी थी
- उस रिपोर्ट के बाद भी तब से अब तक सरकार ने एक्शन नहीं लिया है.
- एक तरफ पिछली हुकूमत में भ्रष्ट बिल्डरों को संरक्षण था
- जिसके कारण 2007 से 2011 के बीच अरबों का घोटाला
- नोएडा एक्सटेंशन के 16 गांवों में जमीन घोटाला अब सामने आया है.
- जहाँ रातों-रात भूमि उपयोग बदलकर रेजिडेंशियल घोषित कर दिया गया.
करीबी निवेशकों को पहुँचाया फायदा:
- अपने ही पाले-पोसे बिल्डरों को वो ज़मीन औने पौने दामों में परोस दी जो आज हज़ारों निवेशकों का पैसा मार कर बैठे हैं.
- अधिकीरियों के कारमाने के सामने आने के बाद किसानों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई.
- जिस पर हाईकोर्ट का फैसला किसानों के पक्ष में आया.
कोर्ट ने दिया था आदेश:
- किसानों का मुआवज़ा 64.7% अतिरिक्त मुआवज़ा दिया जाए
- प्राधिकरण 6 के 10 प्रतिशत तक आवासीय भूमि का निर्माण करे
- लैंड यूज़ बदलने वाले अधिकारियों की जांच की जाए
- दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए
- किसानों के मुआवज़े और आवासीय भूमि पर निर्माण की बात को कुछ हद तक मानी गई.
- लेकिन ज़मीन का उपयोग बदलने वाले अधिकारियों की जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई.
- इस मामले की जांच तो तत्कालीन प्रमुख सचिव ने मामले की जांच की.
- उन्होंने 2012 में रिपोर्ट तत्कालीन मुख्य सचिव को सौंप दी.
- लेकिन इसके बाद से फिर जांच की फाइल आगे नहीं बढ़ सकी.
- फाइल को पांच साल तक दबाए रखा गया.
सीएम योगी ने लिया संज्ञान:
- अब जेवर विधायक ने एक बाऱ जब मामले को उठाया.
- पता चला कि जांच अभी आधे रास्ते में ही है.
- सीएम योगी ने मामले में संज्ञान लिया और अब सबी फाइलें तलब की हैं.
- इस महाघोटाले की जांच कैग से करवाने के सरकार ने आदेश दे दिए हैं.
- इस पूरे मामले में अरबों के वारे न्यारे उस समय के करीब 20 अधिकारियों ने किए.
- अथॉरिटी के सीईओ, एसीईओ, डीसीईओ, महाप्रबंधक वरिष्ठ प्रबंधक, प्रबंधक और लिपिक तक इसकी जद में हैं.
आवंटन में उड़ीं नियमों की धज्जियाँ:
- अधिकारियों के इस पूरे महाघोटाले में लैंड यूज़ बदल दिया.
- प्राधिकारण के अफसरों ने बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए आवंटन में भी नियमों की धज्जियां उड़ाई.
- इस बार की जांच में इस बात की जांच भी होगी.
- नोएडा एक्सटेंशन में ये खेल होता रहा और तत्कालीन बीएसपी सरकार सोती रही.
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