माननीय रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु द्वारा वर्तमान सरकार का तीसरा रेल बजट उच्च आकांक्षाओं के साथ पेश किया गया। जैसा की किसी भी सरकार के द्वारा पेश बजट के लिए कहा जाता है, इस बजट के भी कुछ सकारात्मक और कुछ नकारात्मक पहलु हैं। यह बजट आम लोगों के लिए कितना अच्छा है, यह विषय आने वाले कुछ दिनों तक वाद-विवाद का केंद्र होगा। उत्तर प्रदेश राज्य के लिए इस बजट के कुछ विशेष पहलु इस प्रकार हैं-

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रेल बजट 2016 में उत्तर प्रदेश को दूसरा सबसे उच्च आवंटन किया गया है। 4,923 करोड़ रुपये का यह आवंटन पिछले वर्ष की तुलना में 13% अधिक है जिसका ज्यादा हिस्सा बुनियादी ढाँचे के विकास और पहले से चल रही परियोजनाओं को पूर्ण करने के लिए है। श्री सुरेश प्रभु ने आने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमन्त्री के चुनावी क्षेत्र वाराणसी का विशेष ध्यान रखा है और इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में चल रही परियोजनाओं के लिए भी निधि दी है। चारबाग रेल स्टेशन के विसंकुलन हेतु 40 करोड़ रूपये की निधि दी गयी है जिसका उपयोग 27 वर्ष पुराने रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम के नवीनीकरण हेतु किया जाएगा। इसके अलावा 40 करोड़ ब्रिज और कार्यशाला के लिए व 32 करोड़ आलमनगर और उत्तरेथिआ के 20 की.मी. की डबलिंग के लिए भी दिया गया है। लखनऊ के लिए इस विशेष निधि के अतिरिक्त पूरे लखनऊ डिवीज़न लिए भी काफी निधि आबंटित की गयी है। वाराणसी को रेल बजट में तीर्थ स्थान की तरह शामिल किया गया है जिसके अंतर्गत यात्री सुविधाओं और स्टेशन के सौन्दरीयकरण को शामिल किया गया है। इसके साथ ही तीर्थ क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश से हरिद्धार और मथुरा को भी सम्मिलित किया गया है परन्तु अयोध्या को सम्मिलित न किये जाने से निवासी निराश हुए हैं। उत्तर पूर्वी रेलवे को इस वर्ष के बजट में 16% की वृद्धि दी गयी है। इसे 1330 करोड़ विभिन्न शीर्षो के अंतर्गत दिया गया है जिसे पहले से चल रही परियोजनाओं को पूर्ण करने के लिए और नयी परियोजनाओं को आरम्भ करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

हालांकि माननीय मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने बजट के प्रति निराशा व्यक्त की क्योकि उन्होंने आगरा-लखनऊ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के साथ एक बुलेट ट्रैन परियोजना के लिए मुफ्त भूमि देने का प्रस्ताव दिया था जिसे उत्तर प्रदेश राज्य से 71 भ.जा. पा. सांसदों के होने के बावजूद भी नजअंदाज़ कर दिया गया। आने वाले वर्षों में आम जनता के लिए इस बजट से मिलने वाली सुविधाओं का लेखा-जोखा करने पर ही शायद सकारात्मक और नकारात्मक पहलु ठीक से समझ आएंगे। बाकी तो यह है की आमतौर पर बजट लुभावने ही लगते हैं।

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