वैसे तो उत्तर प्रदेश सतर्कता आयोग (Vigilance Commission) द्वारा पिछले 07 वर्षों में मात्र 03 बैठकें की गयी हैं। पर इस दौरान उनके द्वारा प्रदेश के सर्वाधिक भ्रष्ट विभागों का चयन जरुर किया गया है। यह तथ्य सतर्कता आयोग द्वारा आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर को दी गयी सूचना से सामने आया है।
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पांचों विभागों ने नहीं दिया कोई जबाव
- आयोग ने 15 जनवरी 2014 की अपनी बैठक में कहा था कि शिक्षा, विद्युत्, सिंचाई, लोक निर्माण तथा राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार निवारण के उद्देश्य से अपनाई गयी प्रक्रिया का अध्ययन कर शासन को प्रस्ताव भेजा जाये।
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- इसके लिए आयोग की तरफ से इन पांचों विभागों को पत्र भेजे गए।
- लेकिन कोई जवाब नहीं आया तो 01 अक्टूबर 2014 की बैठक में तय किया गया कि चिकित्सा विभाग में भी अत्यधिक भ्रष्टाचार है।
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- अतः इन पांच विभागों के साथ इस विभाग में भी भ्रष्टाचार निवारण के प्रयासों का अनुसरण किया जाये।
- यूपी सतर्कता आयोग की स्थापना केंद्रीय सतर्कता आयोग की तर्ज पर 1964 में की गयी थी।
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- इसमें 04 वरिष्ठ आईएएस अफसर तथा सतर्कता निदेशक सहित कुल 05 सदस्य होते हैं।
- इसके कार्यों में भ्रष्टाचार पर कार्यवाही और नियंत्रण के संबंध में कार्ययोजना बनाना है।
- नूतन ने सतर्कता आयोग (Vigilance Commission) को अपने कार्यों में पूरी तरह विफल और निष्क्रिय बताते हुए इसे सक्रीय किये जाने की मांग की है।
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Sudhir Kumar
I am currently working as State Crime Reporter @uttarpradesh.org. I am an avid reader and always wants to learn new things and techniques. I associated with the print, electronic media and digital media for many years.