बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के बारे में तो पूरी दुनिया जानती है। इस मामले में घिरे भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोपों को भी उच्चतम न्यायलय ने बहाल कर दिया है। लेकिन जब यह मामला 1992 में हुआ था तब से 25 बीत गए और सिर्फ गवाही ही होती रही यह हम नहीं बल्कि यह तारीखें इसकी गवाह हैं। इस केस का अयोध्या के राम जन्मभूमि थाने में अपराध संख्या 198/92 में दर्ज है।
कब-कब क्या हुआ
- 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिरा था। इस मामले में अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ एक केस तो दूसरे में भाजपा नेताओं मुरली मनोहर जोशी, लालकृष्ण अडवाणी को भी सांप्रदायिक भाषण देने के आरोप में नामजद किया गया।
- 1 मार्च 1993 को बाबरी मस्जिद विध्वंस केस ललितपुर में ट्रांसफर कर दिया गया।
- 9 सितंबर 1993 को बाबरी मस्जिद विध्वंस केस रायबरेली में ट्रांसफर कर दिया गया।
- 10 सितंबर 1993 को बाबरी मस्जिद विध्वंस से जुड़ी पत्रावलियां रायबरेली पहुंच गईं।
- 24 जनवरी 1994 को विशेष जज लखनऊ को पत्रावलियां भेजी गईं।
- 4 मई, 2001 को सीबीआई की विशेष अदालत ने उमा भारती, बाल ठाकरे, आडवाणी, जोशी और अन्य के खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी।
- 17 सितंबर 2002 को तत्कालीन प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय में शपथ पत्र देकर कहा कि मामले को रायबरेली की अदालत ले सकती है।
- 29 नवंबर 2002 को उच्चतम न्यायलय ने रायबरेली में सुनवाई का आदेश दिया।
- 21 मार्च 2003 को मामले से जुड़ी पत्रावलियां रायबरेली पहुंची।
- 29 मार्च 2003 को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के आरोपितों को हाजिर होने का आदेश दिया गया।
- 19 सितंबर 2003 को मजिस्ट्रेट विमल कुमार ने अडवाणी को बरी किया, अन्य शेष पर केस चलाने का आदेश दिया।
- 10 अक्टूबर 2003 को गवाही से पहले ही जोशी ने पुनरीक्षण याचिका दायर की।
- 2 नवंबर 2004 को भाजपा के नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने कार्यवाही बंद किए जाने को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंड पीठ के सामने तकनीकी आधार पर चुनौती दी।
- 6 जुलाई 2005 को आरोपों से बरी किये गए लालकृष्ण अडवाणी समेत 8 लोगों के खिलाफ हाईकोर्ट ने केस चलाने के आदेश दिए।
- 28 जुलाई 2005 को सभी आरोपित अदालत में हाजिर हुए, जहां न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद सिंह ने आरोप तय किये।
- 18 अप्रैल 2007 को सीबीआई ने सीआरपीएफ के कमांडेंट आरके स्वामी को पेश किया।
- 20 मई 2010 को उच्च न्यायालय ने कहा कि सीबीआई की पुनर्विचार याचिका में कोई दम नहीं है और याचिका खारिज कर दी।
- 20 फरवरी 2011 को उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीबीआई उच्चतम न्यायालय पहुंची।
- 21 जनवरी 2017 को 57वें गवाह के रूप में स्वदेश कुमार की गवाही हो चुकी है।
- 24 मार्च को 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में संकेत दिया कि वह भाजपा के नेताओं के खिलाफ साजिश के आरोप को बहाल करने पर विचार कर सकता है।
- 21 मार्च 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए ताजा प्रयासों का सुझाव दिया।
- 6 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने समयबद्ध तरीके से मामले की सुनवाई पूरी करने को कहा और सीबीआई की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा।
- 19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री उमा भारती, आडवाणी, जोशी के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप को बहाल किया। साथ ही अति विशिष्ट लोगों और कारसेवकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई को एक साथ जोड़ दिया।
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