उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाले पत्रकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं, जब भी पत्रकार किसी अधिकारी, मंत्री या विधायक के भ्रष्टाचार पर बोलते हैं तो उन्हें धमकाया जाता है, बाद में उनपर हमला कर दिया जाता है। पिछले कई महीनों में कई पत्रकार मारे जा चुके हैं जबकि कई लोगों को बुरी तरह से पीटा गया है। ऐसा ही मामला मऊ जिले में सामने आया है जहां एक पत्रकार को बुरी तरह से पीटकर लहूलुहान कर दिया गया।
क्या है मामला
जिले के कोपागंज पुलिस द्वारा पत्रकार स्वपनिल राय को थाने में बंद कर पिटाई करने की घटना सामने आई है। पीड़ित पत्रकार के अनुसार दरोगा नजरे अब्बाश ने शराब के नशे में उन्हें गाली देते हुए थाने में बंदकर पीटा। स्वपनिल राय लखनऊ में नेशनल वॉयस चैनल में डेस्क पर कार्यरत है।
मामले की लीपापोती में जुटे एसपी
घटना के तुरंत बाद जिले के सभी पत्रकार थाने पहुंचे गए और एसपी से मामले की शिकायत की। एसपी अखिलेश यादव ने दरोगा के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय मामले की लीपापोती करने में जुट गए।
थाने मिलीं शराब की बोतलें
वहीं, कोपागंज पुलिस द्वारा एक पत्रकार को थाने में बंद कर पिटाई की सूचना पर पहुंचे घोसी सांसद हरिनारायण राजभर ने पूरे थाने का निरीक्षण किया। इस दौरान सांसद ने उप निरीक्षक नजरे अब्बास के कमरे में शराब की बोतलें पाई। साथ ही दरोगा भी नशे में धुत मिला। इसके बाद सांसद ने दरोगा का मेडिकल टेस्ट कराने को कहा। वहीं सांसद के थाने पहुंचने से हड़कंप मच गया।
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मामले की निष्पक्ष जांच होगी: शलभ
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हो रहे हमले को गंभीर मुद्दा बताया। शलभ ने कहा कि मऊ में हुए मामले में दोषियों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करेंगी।
पहले भी हो चुका है पत्रकारों पर हमला
मऊ में पत्रकार पर हमले का ये कोई पहला मामला नहीं है। अगस्त 2016 में अश्लील आर्केस्ट्रा नाच का कवरेज कर रहे पत्रकार अभिषेक राय पर दरोगा ने जानलेवा हमला किया था। जून 2016 में मऊ जनपद के थाना सरायलखंसी के अच्छार गांव के स्थानीय पत्रकार मैनेजर विश्वकर्मा को कुछ दबंगों ने पीट पीट कर लहूलुहान कर दिया। वहीं कुछ महीने पहले जनपद से मान्यता प्राप्त पत्रकार रविंद्र सैनी के पिता पर कुछ दबंगों ने हमला कर लहूलूहान कर दिया था।
11 मार्च को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सूबे की जनता को लगा कि अब प्रदेश में पहले से बेहतर कानून-व्यवस्था होगी। प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद अपराध में कमी के बजाय अपराध सिर चढ़ कर बोल रहा है। बहरहाल, अब देखने वाली बात होगी कि सूबे की योगी सरकार पत्रकार पर हुए हमले को कितनी गंभीरता से लेती है और आरोपी दरोगा-थानेदार पर क्या कार्रवाई करती है।