लखनऊ: तीन तलाक के दंश से जूझ रहीं मुस्‍लिम महिलाओं के लिए मंगलवार का दिन मंगल लेकर आया. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने इसे छह माह के लिए देश में निरस्‍त कर दिया है. इससे तीन तलाक को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने वाली महिलाओं को काफी राहत मिली है. बता दें कि अब केंद्र सरकार तीन तलाक के मसले पर एक कानून बनाएगा जो तीन तलाक की पद्धति के भविष्‍य को तय करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को दी मजबूती-

  • बता दें कि पांच जजों की बेंच में से तीन ने इसे पूरी तरह से असंवैधानिक करार देते हुए मुस्‍लिम महिलाओं को काफी मजबूती दी है.
  • विभिन्‍न सामाजिक संगठनों ने इसे काफी सराहा है.

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  • तीन तलाक के मुद्दे पर लंबे समय हक की लड़ाई लड़ रहीं जुबैदा ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्‍वागत करती हैं.
  • हालांकि, उन्‍होंने यह भी कहा कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है.
  • मगर जल्‍द ही कोर्ट को मुस्‍लिम मर्दों को एक से ज्‍यादा शादी करने की छूट से भी रोकना चाहिए.

मुस्‍लिम धर्मगुरुओं की मिली-जुली प्रतिक्रिया-

  • वहीं, तीन तलाक पर आए इस फैसले के बाद मुस्‍लिम धर्मगुरुओं की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है.
  • उनका कहना है कि तीन तलाक एक धार्मिक अधिकार का मसला है.
  • इस बारे में आए कोर्ट के फैसले को मानना जरूरी नहीं है.

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  • तीन तलाक को लेकर उनका मानना है कि धार्मिक अधिकारों पर हस्‍तक्षेप करने का अधिकार सिर्फ धर्मगुरुओं को है.
  • वे शरीयत लॉ के आधार पर ही अपना फैसला सुनाएंगे.
  • सुप्रीम कोर्ट को इस बारे में टिप्‍पणी करने का भले ही अधिकार है.
  • मगर उसे माना जाए यह जरूरी नहीं है.
  • खैर, वे इस बात का जवाब नहीं दे पाए कि तीन तलाक के फैसले को क्‍यों तर्कसंगत नहीं माना जा सकता है.

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