मेडिकल कॉलेजों में अब शिक्षकों की मनमानी नहीं चल पाएगा, एमसीआई ने कक्षाओं में लेटलतीफी को लेकर सख्त कदम उठाया है। एमसीआई द्वारा चिकित्सा शिक्षकों को बायोमीट्रिक सिस्टम से जोडक़र हाजिरी की रिपोर्टिग के निर्देश प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों को दिए गए हैं।
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समय से नहीं आते शिक्षक
- प्रदेश में केजीएमयू व सैफई दो विश्वविद्यालय हैं। वहीं 12 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं।
- इसके अलावा वर्ष 2017 से लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में भी एमबीबीएस सत्र शुरू हो गया है।
- लेकिन, अधिकतर कॉलेजों में मैनुअल अटेंडेंस सिस्टम ही लागू है।
- वहीं जिनमें बायोमीट्रिक सिस्टम इंस्टॉल भी किया गया है, वहां सिर्फ संविदा कर्मियों को ही दायरे में लाया गया।
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- उधर, डॉक्टरों को बायोमीट्रिक से पूरी तरह छूट है।
- लिहाजा चिकित्सा शिक्षकों को कॉलेज व कक्षा में देर से पहुंचने का सिलसिला जारी है।
- जिसे गंभीरता से लेते हुए एमसीआई ने सभी कॉलेजों के शिक्षकों को बायोमीट्रिक अटेंडेंस के दायरे में लाने का निर्देश दिया है।
- इससे शिक्षकों की उपस्थिति बढ़ेगी, साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।
- एमसीआई के निर्देश पर केजीएमयू के कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट बायोमीट्रिक सिस्टम को लेकर गंभीर हैं।
- साथ ही लोहिया संस्थान के निदेशक प्रो. दीपक मालवीय ने जल्द बायोमीट्रिक सिस्टम के दायरे में चिकित्सकों को लाने की बात कही है।
- केजीएमयू में जहां 500 के करीब फैकल्टी है, वहीं लोहिया संस्थान में 115 के करीब फैकल्टी है।
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