केंद्र सरकार ने देश में कुपोषण को खत्म करने के लिए ICDS स्कीम की शुरुआत की थी, लेकिन उत्तर प्रदेश में बाल पुष्टाहार को लेकर भी अफसर भ्रष्टाचार से बाज नहीं आ रहे हैं, वहीँ पंजीरी माफिया भी लगातर प्रदेश में अपने वर्चस्व को कायम रखने के लिए प्रयास करते रहते हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को लखनऊ में बाल पुष्टाहार के टेंडर को लेकर कार्यक्रम(Contractor fights ICDS) का आयोजन किया गया था।
टेंडर कार्यक्रम में भिड़े टेंडर लेने वाले(Contractor fights ICDS):
- केंद्र सरकार भले ही ICDS के जरिये देश में कुपोषण को खत्म करना चाहती हो।
- लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार के अफसर यहाँ भी भ्रष्टाचार से बाज नहीं आ रहे हैं।
- इसी बीच शुक्रवार को राजधानी लखनऊ में बाल पुष्टाहार के लिए टेंडर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
- कार्यक्रम का आयोजन लखनऊ स्थित इंदिरा गाँधी प्रतिष्ठान में किया गया था।
- जिसके तहत पंजीरी के ठेकों का निर्धारण होना था।
- वहीँ कार्यक्रम शुरू होते ही ठेका लेने आये कुछ लोग टेंडर को लेकर आपस में ही भिड़ गए।
- प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, टेंडर को लेकर ठेकेदारों ने आपस में मारपीट भी की।
प्रदेश में बनाये गए 27 लाख फर्जी कुपोषित बच्चे(Contractor fights ICDS):
- सूबे में कुपोषण को खत्म करने के दावे भ्रष्ट अधिकारियों के चलते सिर्फ एक सपना बनकर रह गए हैं।
- हालाँकि, योगी सरकार के आने के बाद से कुपोषण के मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है।
- लेकिन भ्रष्ट अधिकारी विभाग में मौजूद रहकर मनमाने ढंग से घोटाले कर रहे हैं।
- वहीँ एक सर्वे के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में सरकारी विभाग के आंकड़ों में 27 लाख फर्जी कुपोषित बच्चे और गर्भवती महिलाये हैं।
- गौरतलब है कि, यह सर्वे शिकायतों के बाद विभाग द्वारा ही कराया गया था।
- प्रदेश के भ्रष्ट अधिकारी पंजीरी माफियाओं के साथ मिलकर 27 लाख लोगों को फाइलों में रखकर सरकारी पैसे का बंदरबाँट कर रहे हैं।
- साथ ही सर्वे यह बात साबित हुई थी कि, यूपी में पंजीरी सप्लाई के नाम हर साल करोड़ों रुपये का गोलमाल किया जाता है।
पूर्व सरकार की अपनी योजना की अधिकारियों ने की थी ये हालत(Contractor fights ICDS):
- उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार की गर्भवती और कुपोषित बच्चों के लिए शुरू की गयी योजना ने अपने शुरुआती दिनों में ही दम तोड़ दिया था।
- यूपी के कई जिलों में ग्राउंड जीरो चेक में यह योजना अपना दम तोड़ती नजर आ रही थी।
- गौरतलब है कि, खुद मुख्यमंत्री ने अपने हाथों से इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों को खाना खिलाकर योजना का शुभारम्भ किया था।
- लेकिन कई जिलों में अधिकारियों की लापरवाही के चलते गर्भवती ग्रामीण महिलाओं और कुपोषित बच्चों को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा था।
- आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मुताबिक, योजना के लिए बैंक खातों में इस योजना का पैसा आना था, जो कि नहीं आया।
- कार्यकर्ताओं के मुताबिक, उन्होंने गर्भवती ग्रामीण महिलाओं और कुपोषित बच्चों को अपने पैसे से दो दिन भोजन कराया था।
- इसके अलावा कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के मुताबिक, प्रशासन ने अभी तक उनके खाते ही नहीं खुलवाए थे।
- वहीँ उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में चेकिंग के दौरान आंगनबाड़ी में सामने आया कि, अधिकांश केंद्र बंद मिले और कई जगह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नहीं मिली थी।
- फतेहपुर जिले में ही सहायक के रूप में बच्चों की देखभाल करने वाली एक बुजुर्ग महिला को योजना की कोई जानकारी ही नहीं थी।
- गौरतलब है कि, विभाग द्वारा इस योजना का बहुत जोरों-शोरों से प्रचार किया था, उसके बावजूद ग्राम प्रधान से लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इससे अनजान दिखे थे।
- हौसला पोषण योजना ने सूबे के लगभग हर जिले में दम तोड़ दिया है, तो अब सवाल ये उठता है कि क्या ऐसे होगा उत्तर प्रदेश कुपोषण मुक्त?
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