उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही लोगो के दिलों में उम्मीद जगी की शायद अब उनकी मुलभुत समस्याएँ समाप्त हो जाएंगी, लेकिन प्रदेश में योगी राज आने के बाद भी फिलहाल ऐसा होता नज़र नही आ रहा है. बता दें कि सरकार द्वारा कई विभागों को बजट समय से नहीं मिल पा रहा है . जिसके चलते कई जगहों पर शासन और प्रशासन का विरोध किया जा रहा है. ताज़ा मामला यूपी के मेरठ जनपद का है जहाँ शासन और प्रशासन से नाराज़ नेत्रहीन बच्चों ने सीडीओ ऑफिस का घेराव किया है.
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तीन दिनों से धरने पर बैठे हैं ये नेत्रहीन बच्चे-
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- यूपी के मेरठ में नेत्रहीन बच्चो ने सीडीओ ऑफिस का घेराव किया है.
- दरअसल इन बच्चों की छात्रवृति मिलनी बंद हो गई है.
- जो की इनका एक मात्र सहारा थी.
- ऐसे में छात्रवृति न मिलने से नाराज़ ये बच्चे पिछले तीन दिनों से धरने पर बैठे हैं.
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- इन बच्चों ने सिस्टम से कई बार गुहार लगाई कि उनको हर महीने मिलने वाला पैसा टाइम से मिल जाए.
- जिससे उनकी खाने पीने समस्याओं का समाधान हो सके जिससे वो अपना भविष्य उज्जवल कर सकें.
- लेकिन इनकी गुहार किसी ने नहीं सुनी.
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने किया नेत्रहीन बच्चों का समर्थन-
- इस दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आज इन बच्चो की आवाज को उठाया है.
- ज्सिके बाद ABVP कार्यकर्ताओं ने भी आज सीडीओ ऑफिस का घेराव किया.
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- लेकिन अफसोस ये कि टाइम लेने के बाद भी सीडीओ आर्यनका मेडम छात्रों से नहीं मिले.
- जिससे छात्रों का गुस्सा और बढ़ गया.
पिछली सरकार ने बढ़ाई थी इन बच्चों की छात्रवृत्ति-
- नेत्रहीन छात्रों की माने तो पहले उन्हें 1200 रूपये छात्रवृति मिलती थी.
- जिसमे पिछली सरकार ने बढ़ोतरी करके 2 हजार कर दी थी.
- लेकिन अब पिछले कुछ महीनों से उनको छात्रवृति नहीं मिल रही है.
- जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
- बता दे कि हर जिले में सरकार ने एक स्कूल नेत्रहीन बच्चों के लिए बनाया हुआ है.
- ऐसे में मेरठ में भी नेत्रहीन बच्चों के लिए एक स्कूल है.
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- इस स्कूल में 90 के करीब नेत्रहीन बच्चे शिक्षा और खाना ग्रहण करते है.
- लेकिन पिछले कुछ समय से उनको मिलने वाली राशि उन तक नहीं पहुंची है.
- ऐसा नहीं है इन बच्चो ने किसी से इसके लिए गुहार नहीं लगाई हो.
- लेकिन सबसे गुहार लगाने के बवजूद इनकी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है.
- अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने बजट के लिए कई बार शासन को लिखा है.
- लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है.
- ऐसे में अब देखना ये है कि इन बच्चो का हक़ इन तक कब से पहुंचना शुरू होगा.
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