‘सृजन’ एक गैर सरकारी संस्था है जो महिलाओं के विकास के लिए काम करती है। बिहार के भागलपुर में स्थित ‘सृजन’ को साल 1996 में महिलाओं को काम देने के मकसद से शुरू किया गया था। तीन अगस्त को 10 करोड़ का एक सरकारी चेक बाउंस होने के बाद यह घोटाला सामने आया।
मनोरमा देवी ने की थी ‘सृजन’ की शुरुआत-
- सृजन एक गैर सरकारी संस्था है जो महिलाओं के विकास के लिए काम करती है।
- इस संस्था की मालकिन थी मनोरमा देवी।
- मिली जानकारी के मुताबिक मनोरमा देवी ने संस्था की शुरूआत महज दो महिलाओं के साथ की थी।
- धीरे-धीरे इन महिलाओं की संख्या बढ़ कर करीब छह हजार हो गई।
- संस्था का उद्देश्य था गरीब, पिछड़ी, महादलित महिलाओं के जीवन स्तर को सुधारना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना।
- 1996 में सृजन महिला का समिति के रूप में रजिस्ट्रेशन हुआ।
- दो साल बाद इसे जिला स्तरीय मान्यता मिलने से फंड मिलना शुरू हो गया।
- बता दें कि सृजन के पास को-ऑपरेटिव बैंका का लाइसेंस भी मौजूद है।
- इसमें मनोरमा देवी सचिव के रूप में काम कर रही थी।
- बता दें कि 69 वर्ष की उम्र में मनोरमा देवी का निधन 14 फरवरी 2017 को हुआ था।
- इसके बाद उनकी बहु और अमित कुमार की पत्नी प्रिया कुमार ने सचिव पद पर योगदान दिया।
कुछ यूँ सामने आया ‘सृजन घोटाला’ का खुलासा-
- यह घोटाला तब सामने आया जाब तीन अगस्त को 10 करोड़ का एक सरकारी चेक बाउंस हो गया।
- छानबीन में मालूम पड़ा कि जिलाधिकारी के फर्ज़ी हस्ताक्षर की मदद से बैंक से सरकारी पैसा निकाल कर एनजीओ के खाते में डाला गया।
- मामला सामने आते ही पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया।
- इसके बाद पुलिस तुरंत हरकत में आई।
- पुलिस स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया।
- इस मामले से जुड़े लोगों के घर और सृजन एनजीओ के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
- मामले में अब तक नौ लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज है और 12 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
ऐसे होता था घोटाला-
- भागलपुर के एसएसपी मनोज कुमार का कहना है कि यह संस्था पूरे सरकारी खजाने से अवैध निकासी का काम करती थी।
- उन्होंने इसके दो तरीकों के बारे में भी बताया- स्वाइप मोड और चेक मोड।
- एसएसपी ने बताया कि स्वाइप मोड के जरिए भारी-रकम राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा भागलपुर जिले के सरकारी खातों में जमा किया जाता था।
- इसमें राज्य सरकार या केंद्र सरकार एक पत्र के द्वारा बैंक को सूचना देती है कि कितनी राशि बैंक में जमा करा दी गई है।
- गोरखधंधे में शामिल बैंक अधिकारी सरकारी खाते में पैसा जमा कराने के बदले ‘सृजन’ के खाते में पूरा पैसा जमा करते थे।
- चेक मोड द्वारा सरकारी खाते में जमा पैसे को डीएम आफिस में काबिज पदाधिकारी डीएम के फर्जी हस्ताक्षर से अगले दिन वह राशि ‘सृजन’ अकांउट में जमा कर दी जाती थी।
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