तीन तलाक़ से मुस्लिम महिलाओं को मुक्ति मिल गई. अब केंद्र सरकार का दायित्व है कि वह इस संबंध में एक सख्त कानून बनाए. हालांकि, भारत में मुस्लिम महिलाओं के इस दर्द के अतिरिक्त और भी कई दर्द हैं. दरअसल, भारत में दहेज पीड़िताओं की भी संख्या कम नहीं है. हिंदू धर्म में तो बाल विवाह भी एक बड़ी चुनौती है. तमाम कानून बनने के बाद भी केंद्र व राज्य सरकारें इसे रोकने में असमर्थ साबित हो रही हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि हमारे देश में महिलाओं के जीवन को पूरी तरह से सुरक्षित बनाने के लिए किन-किन मसलों पर सख्त कानून की आवश्यकता है…
NCRB के आंकड़ों से समझें भारतीय महिलाओं का दर्द
- नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ओर से वर्ष 2015 में जारी की गई एक रिपोर्ट में देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए थे.
- एनसीआरबी के मुताबिक, महिलाओं से वर्ष 2011 में 24206, वर्ष 2012 में 24923, वर्ष 2013 में 33707, वर्ष 2014 में 36735 और साल 2015 में 34651 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए थे.
- यही नहीं NCRB ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वर्ष 2011 में 35565, वर्ष 2012 में 38262, वर्ष 2013 में 51881, वर्ष 2014 में 57311 और साल 2015 में 59277 मामले महिलाओं व लड़कियों के अपहरण के दर्ज किए गए थे.
- वहीं, वर्ष 2011 में 8618, वर्ष 2012 में 8233, वर्ष 2013 में 8083, वर्ष 2014 में 8455 और साल 2015 में 7634 मुकदमे दहेज हत्याओं के दर्ज किए थे.
- NCRB ने रिपोर्ट में यह भी बताया है कि वर्ष 2011 में 99135, वर्ष 2012 में 106527, वर्ष 2013 में 118886, वर्ष 2014 में 122877 और साल 2015 में 113403 मामले महिलाओं ने अपने पति या रिश्तेदारों के खिलाफ प्रताड़ना के दर्ज कराए थे.
- यानी उपरोक्त आंकड़ों को पढ़ने के बाद इस बात को आसानी से समझा जा सकता है कि देश में महिलाओं की सुरक्षा सिज सिर्फ तीन तलाक़ पर प्रतिबंध लाने से ही नहीं लगने वाला.
- देश में महिलाओं को पूरी तरह से आजादी दिलाने के लिए एक ऐसे सभ्य समाज की आवश्यकता है जहां इस आधी आबादी को भी बराबरी का मंच दिया जा सके.
देश में महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों की सूची
- यही नहीं देशभर में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की संख्या देश में होने वाले कुल अपराधों की संख्या से कहीं अधिक है.
- NCRB के मुताबिक, देशभर में हुए कुल अपराधों में वर्ष 2011 में महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों के 9.4, वर्ष 2012 में 10.2, वर्ष 2013 में 11.2, वर्ष 2014 में 11.4 और साल 2015 में 10.7 फीसदी केस दर्ज किए गए थे.
- यानी यह समझना काफी है कि देश में होने वाले अपराधों में महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों को रोकने की जरूरत बहुत ज्यादा है.
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