उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने के बाद से ही योगी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम छेड़ रही है. लेकिन मेरठ में योगी सरकार की ये मुहिम उल्टी पड़ती नज़र आ रही है.
भ्रष्टों की पैरवी में उतरे एमडीए के इंजीनियर–
- बीते 11 अगस्त को मेरठ में हुए वायर घोटाला मामले में तीन भ्रष्ट इंजीनियरों को गिरफ्तार किया गया था.
- जिसके बाद साइकिल पथ में करोड़ो रूपये की वायर डकारने वाले इन इंजीनियरों को जेल भेजा गया था.
- मेरठ कमिश्नर प्रभात कुमार बड़ी करवाई करते हुए इंजीनियरों को गिरफ्तार करवाया था.
- लेकिन आज इन भ्रष्ट इंजीनियरों के लिए इंजीनियर संघ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चला गया है.
अब क्या भ्रष्टों से चलेगा लोकतन्त्र?
- भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने वालों की अब मेरठ के इंजीनियर बोलती बंद करने को तैयार हैं.
- मेरठ विकास प्राधिकरण में सरकारी छत के नीचे बैठकर ये इंजीनियर सरकारी पगार पाते है.
- लेकिन इसके बावजूद सरकारी पगार खाने वाले इन इंजीनियरों ने अब सरकार के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है.
- मुद्दा सिर्फ एक है भ्रष्टाचार का.
- दरअसल नौकरी में आते वक्त ये लोग भ्रष्टाचार मुक्त आचरण की कसमें खाते हैं.
- लेकिन नौकरी मिलने के बाद उन कसमों को ठेंगे पर रख दिया जाता है.
- इसी क्रम में MDA के इंजीनियर भी अपनी कसमों को ठेंगे पर रख अपने भ्रष्ट साथियों की पैरोकारी में उतर आये है.
- बता दें कि 2014 में साइकिल ट्रैक के सहारे बीच सड़क बिजली के खंभे मौत बनकर मंडरा रहे थे.
- जिसे देखते हुए एमडीए से इनकी शिफ्टिंग और अंडरग्राउंड इलैक्ट्रिक वायर बिछाने के नाम पर डेढ़ करोड़ का भुगतान करा लिया गया.
- लेकिन वायर बिछाने का काम जमीन के बजाय सिर्फ कागजों में किया गया था.
- जिसके बाद ये भ्रष्ट इंजीनियर ने अपने आला अफसरों के साथ मिलकर सारा बजट डकार गये.
- बता दें कि इस घोटाले में एमडीए के पूर्व उपाध्यक्ष योगेन्द्र यादव की गर्दन भी फँसी हुई है.
- उन्होंने डेढ़ करोड़ रूपये का भुगतान अपने अजीज ठेकेदार को किया था.
अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गये इंजीनियर दे रहे ये दलील-
- वायर घोटाला मामले में तीन भ्रष्ट इंजीनियरों को जेल भेजा गया था.
- इस मामले में भ्रष्टों की पैरवी में उतरे MDA के इंजीनियर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं.
- अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गये इंजीनियरों अपनी ही दलील दे रहे हैं.
- इसका कहना है कि जब पैमेन्ट उपाध्यक्ष ने किया तो काम को अंजाम देने वाले अफसर कहाँ से दोषी हो गये.
- साइकिल पथ से इलैक्ट्रिक लाइन शिफ्टिंग के लिए पावर कारपोरेशन ने 18 लाख रूपये एमडीए से लिए थे.
- इस दौरान साइकिल पथ बनने के बाद सारा पेमेंट तो हो गया लेकिन लाइन शिफ्ट नही हुई.
- इस भ्रष्टाचार के सरपरस्त रहे योगेन्द्र यादव पूरे मामले पर अपनी आँखें मूँदे रहे.
- यही नही बजाय कार्रवाई करने के योगेन्द्र याद ठेकेदारों का भूगतान करते रहे.
- कमिश्नर के आदेश पर दर्ज हुई FIR में योगेन्द्र यादव और प्राधिकरण के सचिव भी नामजद है.
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