उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हज़रतगंज स्थित GPO पार्क में आंगनबाड़ी कर्मचारी जमकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर रहे इन आंगनबाड़ी कर्मियों ने अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर मंगलवार 29 अगस्त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मांग पत्र दिया है.

इन 12 मांगों को लेकर आंगनबाड़ी कर्मियों ने लिखा है सीएम को पत्र-

  • प्रदेश भर में कार्यरत सभी आंगनबाड़ी, मिनी आंगनबाड़ी कर्मियों एवं सहायिकाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा जिया जाये.
  • या फिर सभी को न्यूनतम 18 हज़ार रूपए मानदेय दिया जाए.
  • धरना दे रहे कर्मियों का कहना है कि महिला एवं बल कल्याण मंत्री भारत सरकार द्वारा कहा गया था आंगनबाड़ी कर्मियों को सरकारी कर्मचारी बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है.
  • उनका कहना है कि ये बयान 8 जून के समाचार पत्रों में प्रकाशित भी किया गया था.
  • कर्मचारियों ने सीएम से इन मामले में क्या प्रगति हुई है इन बात की जानकारी देने की मांग की है.
  • बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा आंगनबाड़ी कर्मियों को 3 हज़ार रूपए मानदेय दिया जाता है.
  • जिसके चलते कई प्रदेशों में सरकार अपने फंड से कुछ अतिरिक्त मानदेय इन कर्मियों को उपलब्ध कराती है.
  •  कर्मियों का कहना है कि डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान संकल्प पत्र की बात को लेकर आश्वासन दिया था.
  • जिसमे उन्होंने कहा था कि पूर्ण बहुमत की सरकार आने पर इस मामले में 120 दिनों में इस मामले में न्यायोचित वृद्धि की जाएगी.
  • प्रदर्शन कर रहे कर्मियों ने सीएम से डिप्टी सीएम की इस बात का क्रियान्वयन करने की मांग की है.
  • आंगनबाड़ी कर्मचारियों का मानदेय 5 वर्ष की सेवा के उपरान्त न कर के सरकारी कर्मचारियों की तरह हर वर्ष किया जाये इसकी भी मांग की है.

मरणोपरांत किया जाये परिवार की आश्रित महिला की योग्यनुसार नियुक्ति-

  • प्रदर्हन कर रहे आंगनबाड़ी कर्मचारियों की मांग है कि उनके मरने का बाद उनके परिवार की आश्रित महिला को नियुक्ति दी जाये.
  • साथ ही ये नियुक्ति आश्रित महिला की योग्यतानुसार दी जाए.
  • इस के साथ ही कार्य दिवस में मरने पर मृतक के परिवार को 10 लाख रूपए मुआवजा भी दिया जाये.
  • 10 वर्ष सेवा पूर्ण होने पर नियमावली के तहत पदोन्नति की जाये.
  • आंगनबाड़ी कर्मचारियों की की ड्यूटी राष्ट्रीय या प्रदेश में होने वाले अन्य कार्यक्रमों में लगा दी जाती है.
  • जिसके चलते बच्चों की शिक्षा एवं उनका पोषण जैसा मुख्य एवं महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित होता है.
  • इस दौरान इन्हें दोषी करार देते हुए इनपर दंडात्मक कार्रवाई भी की जाती है.
  • इस प्रक्रिया को रोका जाए.
  • बच्चों के लिए मुफ्त कपड़ा, भोजन एवं छात्रवृत्ति की व्यवस्था आंगनबाड़ी केन्द्रों पर भी लागू की जाये.
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