उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के तत्वावधान में भगवतीचरण वर्मा (Bhagwati Charan Verma) की जयन्ती के अवसर पर संगोष्ठी एवं उनकी कविताओं का सस्वर पाठ का आयोजन बुधवार को निराला साहित्य केन्द्र एवं सभागार, हिन्दी भवन, लखनऊ में किया गया। गोपाल चतुर्वेदी की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी में वक्ता के रूप में प्रो. उषा सिन्हा एवं धीरेन्द्र वर्मा आमंत्रित थे।
माँ सरस्वती की प्रतिमा पर दीप जलाकर शुरू हुआ कार्यक्रम
- दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती की प्रतिमा एवं भगवतीचरण वर्मा के चित्र पर पुष्पार्पण के उपरान्त प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में वाणी वन्दना की प्रस्तुति रंजना मिश्रा द्वारा की गयी।
- मंचासीन अतिथियों का स्वागत उत्तरीय द्वारा मनीष शुक्ल, वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी, उप्र हिन्दी संस्थान ने किया।
- अभ्यागतों का स्वागत करते हुए मनीष शुक्ल, वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी, उप्र हिन्दी संस्थान ने कहा- भगवती चरण वर्मा का नाम साहित्य जगत में बड़े ही सम्मान के साथ लिया जाता है।
- आज हम उनके साहित्य के माध्यम से जी रहे हैं।
- ये हमारे साहित्य के चमकते हीरे हैं।
- वर्मा जी ने जो (Bhagwati Charan Verma) साहित्यिक जगत में दीपक जलाया था, उसका प्रकाश आज भी फैल रहा है।
- वे अच्छे कवि भी थे।
- उनके सृजन साहित्य को आज की नई पीढ़ी में प्रचारित व प्रसारित किया जाना चाहिए।
- उनकी लेखनी ने समाज को एक दिशा प्रदान की।
- वक्ता के रूप में आमंत्रित प्रो. उषा सिन्हा ने भगवतीचरण वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर व्याख्यान देते हुए कहा- भगवती चरण वर्मा का साहित्य व्यापक हैं।
- उनका नाम उपन्यासत्रयी में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है।
- वे शब्द शिल्पी थे।
- इनका कथाक्रम समाज को दिशा प्रदान करने वाला है।
- वे अभय व महान साहित्यकार थे।
- वे स्वाभिमानी व्यक्तित्व के थे।
- अमृतलाल नागर, यशपाल तथा भगवतीचरण वर्मा साहित्य जगत के उपन्यासत्रयी के रूप में जाना जाता है।
- बाबू भगवती चरण वर्मा सम्पूर्ण साहित्यकार थे।
- उन्होंने छायावादी कविता को एक नया रूप प्रदान किया।
- वे गुनगुना कर कविता लिखा करते थे।
- उनका साहित्य चिन्तन से भरा है।
- चन्द्रशेखर वर्मा द्वारा भगवतीचरण वर्मा की कविताओं का सस्वर पाठ करते हुए- ‘हम दीवानों की क्या हसती है’, ‘भैंसा गाड़ी’, ‘मैं कब से ढूँढ रहा हूँ’ कविता का पाठ किया।
- भगवतीचरण वर्मा के जीवन से जुड़े हुए संस्मरण सुनाते हुए धीरेन्द्र वर्मा ने कहा -हिन्दी कभी अन्धकार कूप में खोयी नहीं सदैव प्रकाशवान रहेगी।
- उन्होंने कहानी, उपन्यास, कविता, आत्मकथा, रेडियो रूपक आदि लिखे थे।
- कविता यात्रा भी उन्होंने साहित्य यात्रा के साथ पूरी की।
- उनके लेखन में नियतिवाद की विचारधारा मिलती है।
- अध्यक्षीय सम्बोधन करते हुए गोपाल चतुर्वेदी के कहा -अक्षर कालजयी होते हैं।
- वर्मा जी का साहित्य कालजयी है।
- उपन्यासत्रयी में तुलनात्मक अध्ययन करें तो भगवती बाबू का व्यक्तित्व व्यापक दिखता है।
- भगवती बाबू ने फिल्मों के लिए भी लेखन किया।
- उनके उपन्यास में पाठकों की रूचि का विशेष ध्यान दिया गया है।
- वे व्यक्तिगत रूप से काफी मिलनसार थे।
- उनका व्यक्तित्व साधारण था।
- समारोह का संचालन एवं अभ्यागतों (Bhagwati Charan Verma) के प्रति आभार डाॅ. अमिता दुबे, सम्पादक, उप्र हिन्दी संस्थान ने किया।
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