यूपी के गोरखपुर जिले में स्थित बाबा (Dr Rajiv Mishra) राघवदास मेडिकल कॉलेज (बीआरडी अस्पताल) में पिछले दिनों ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने से हुई 70 मासूम बच्चों की मौत के मामले में यूपी एसटीएफ द्वारा कानपुर से गिरफ्तार किये गए पूर्व प्रिंसिपल डॉ. राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी डॉ. पूर्णिमा शुक्ला को गुरुवार को सीओ कैन्ट के नेतृत्व में पुलिस फ़ोर्स के साथ कोर्ट में पेश किया गया।
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- यहां इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूछा कि क्यों न यूपी विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव से इस केस की जांच करायी जाये।
- साथ ही कोर्ट ने पूछा क्यों न सचिव को निरीक्षण कर रिपोर्ट देने के लिये मौके पर भेजा जाये।
- इस मामले में लोकेश खुरना सहित कई अन्य ने जनहित याचिका दाखिल की है।
- बताया जा रहा है कि चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस एम के गुप्ता की खंडपीठ इसकी सुनवाई कर रही है।
- वहीं कोर्ट ने दोनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।
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क्या है पूरा मामला?
- बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 व 11 अगस्त को अधिक बच्चों की मौत होने के बाद गोरखपुर के जिलाधिकारी को जांच सौंपी गई थी।
- डीएम की रिपोर्ट में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से लेकर कई अन्य जिम्मेदार डॉक्टरों को लापरवाही का तो दोषी माना गया था, लेकिन ऑक्सीजन की कमी की बात सामने नहीं आई थी।
- मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी की रिपोर्ट पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति गठित कर एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी थी।
- मामले में कई स्तरों पर अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही की बातें सामने आई थीं।
- ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली फर्म ने कॉलेज के प्राचार्य से लेकर महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा और अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा तक को कई पत्र भेजे थे, फिर भी किसी ने इसे गंभीरता से लेकर भुगतान के लिए तत्परता नहीं बरती।
- चर्चा में यह भी था कि घटना से एक दिन पहले मुख्यमंत्री बीआरडी मेडिकल कॉलेज गए थे, जबकि अपर मुख्य सचिव अनिता भटनागर जैन सीएम दौरे से एक दिन पहले ही गोरखपुर पहुंच गईं थीं, फिर भी ऑक्सीजन (Dr Rajiv Mishra) का भुगतान रुका होने की बात सामने नहीं आई।
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