इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा है कि, यूपी के नारी निकेतन में लड़कियों के रहने लायक स्थिति नहीं है।
गोंडा की एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर फैसला:
- हाई कोर्ट बेंच लखनऊ ने गोंडा के नारी निकेतन में बंद एक लड़की को तत्काल आजाद करने के आदेश दिए हैं।
- एक महिला गोंडा के नारी निकेतन में बंद है, महिला की सास ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी।
- जिसकी सुनवाई जस्टिस अजय लाम्बा और जस्टिस रविन्द्र नाथ मिश्रा द्वितीय की बेंच ने की और महिला को तत्काल प्रभाव से आजाद करने का फैसला सुनाया है।
- कोर्ट ने ये भी कहा है कि, सूबे के नारी निकेतन में महिलाओं के रहने लायक स्थिति नहीं है, इसलिए किसी भी लड़की को वहां तभी भेजा जाये जब कोई विकल्प न बचा हो।
पूरा मामला:
- ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के सामने दिए गये कलम बंद बयान के अनुसार एक लड़की जो 19 साल की है।
- उसके माता-पिता ने एक लड़के से उसकी शादी की, लेकिन लड़की को साथ भेजने के लिए लड़के से 10 लाख रूपये की मांग की।
- लड़के के इनकार करने पर लड़की के माँ-बाप ने लड़के के खिलाफ अपहरण और रेप की झूठी एफआईआर लिखा दी।
- लड़की 9वीं कक्षा तक पढ़ी है और स्कूल के दस्तावेजों में लड़की की जन्मतिथि को गलत लिखाया गया है।
- कोर्ट ने मेडिकल चेकअप की रिपोर्ट में पाया कि, लड़की की उम्र 18 साल है।
- कलम बंद बयान से साफ़ जाहिर है कि, लड़की अपने माँ-बाप के साथ न जाकर लड़के के साथ रहना चाहती है।
- चूँकि, वो बालिग है इसलिए कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से लड़की को आजाद करने के आदेश दिए है।
- कोर्ट ने कहा कि, परिस्थितयों के मद्देनजर ये साफ़ है कि, लड़की को नारी निकेतन भेजकर उसकी आजादी छीनी गयी है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सबको आजादी से रहने का हक़ है।
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