पिछले कुछ सालों से भारत में बाघों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। बेहद तेजी से भारत में विलुप्त होने की कगार पर खड़े बाघों के बचाव के लिए समय समय पर सरकारों द्वारा कदम तो उठायें जाते रहे लेकिन इसके बावजूद भी बाघों का शिकार करने वाले शिकारी इन्हें खत्म करने में कामयाब होते रहे है।
अगर 2016 में मरने वाले बाघों की संख्या पर ही गौर किया जाये तो जो आकड़े सामने आये है वो बेहद खराब है। इस वर्ष अब तक 70 से ज्यादा बाघ मर चुके है जिनके तकरीबन 21 से ज्यादा बाघों को तस्करों द्वारा मारा गया है। इस लिहाज से इस वर्ष हर महीनें तकरीबन 10 बाघों की मौत हुई है।
देश भर में बाघों की होने वाली मौतो को लेकर ये जानकारी वन एवं पर्यावरण मत्रीं अनिल कुमार माधव दवे ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। राज्य सभा में बाघों की मौतो पर चिन्ता व्यक्त करते हुए अनिल कुमार ने कहा कि राज्यों ने अभी तक 73 बाघों की मौत की जानकारी दी है। इनमें 21 तस्करों द्वारा मारे जाने की पुष्टि हुई है। सात मामलों में स्वाभाविक मौत हुई है। शेष 45 मामलों की जांच की जा रही है।
उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि पिछले साल कुल 78 बाघों के मरने की जानकारी मिली थी। इनमें तस्करों द्वारा मारने के 14 मामले भी शामिल थे। पिछले साल 28 बाघों की स्वाभाविक मौत हुई थी। इन मरने वालों बाघों में 36 बाघ ऐसे भी थे जिनकी मौत की समीक्षा अभी तक की जा रही है।