उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लेसा और मध्यांचल विद्युत वितरण निगम बकाएदारों से वसूली के नाम सरकार को लाखों के राजस्व का चूना लगा रहें हैं। इस बीच एक बड़ा सवाल यह है कि बिजली विभाग की ओर से बकाया वसूली और चोरी का यह झूठा अभियान कब तक चलाया जाएगा।

  • मालूम हो कि लेसा और मध्यांचल के अधिकारी पहले तो बिजली दरें बढ़ाते हैं, फिर खुद बिजली चोरी कराते हैं।
  • इसके बाद बिजली बकायेदारों से वसूली के नाम पर पैसा एंठने के लिए अनेकों प्रकार के हथकन्डे अपनाए जाते हैं।
  • बिजली विभाग राजस्व वसूली के लिए तमाम तरीके की योजनाएं लेकर आता है।
  • कभी उपकेन्द्रों पर बकायेदारों की सूची चस्पा की जाती है तो कभी उन्हें नोटिस पर नोटिस भेजे जाते हैं।
  • प्रचार के माध्यम से लोगों को बकाया राशि जमा करने के लिए अभियान चलाया जाता है।
  • बिजली विभाग कनेक्शन काटने और दोबारा सप्लाई ना देने जैसी कई योजनाएं चलाता है।
  • लेकिन विभाग की यह योजनाएं आम लोगों तक पहुचंने से पहले ही दम तोड़ देती है।
  • तमाम योजनाएं चलाये जाने के बावजूद बिजली विभाग अभी तक बकाया वसूलने में नाकाम रहा है।

चलाया जा रहा है महा डिस्कनेक्शन अभियानः

  • बिजली विभाग इस समय उपभोक्ताओं से वसूली के लिए महा डिस्कनेक्शन अभियान चला रहा है।
  • इसके तहत पिछले तीन महिनों से जिन उपभोक्ताओं ने बिल नहीं जमा किया है उनके कनेक्शन काट दिये जाएंगे।
  • वहीं, बकायेदारों का कहना है कि यदि बिजली विभाग समय रहते बिल उपलब्ध करा दे तो इतना बकाया कभी नहीं होगा।
  • एक उपभोक्ता ने बताया कि वह पिछले तीन महिनों से बिल सही कराने के लिए बिजली उपकेन्द्र के चक्कर लगा रहें हैं।
  • मगर अधिकारी अब उन्हें पांच सौ रूपये की रसीद कटवाने के लिए कह रहें हैं।
  • विभाग की इन जटिल प्रक्रियाओं को पूरा करने में दो से तीन महीने का समय लग  जाता है।
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