पीएम मोदी ने 15 अगस्त के मौके पर लाल किले के प्राचीर से पाक पर हमला बोला था। उन्होंने बलूचिस्तान और गिलगिट को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि गिलगिट और बलूच भी भारत का हिस्सा है। इसके पहले किसी पीएम ने लाल किले से बलूच के लोगों के लिए कोई संबोधन नही किया था। हालाँकि इस बयान के बाद पाकिस्तान की तरफ से भी प्रतिक्रियाएं आने लगी थी। लेकिन मुख्य विपक्षी दल और करीब 5 दशकों तक शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी के अंदर खलबली मच गई है।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सुर एक जैसे नहीं हैं। सलमान खुर्शीद ने कहा कि-
- पीएम को गिलगिट बलूच की बात नहीं करनी चाहिए थी।
- इसका अंजाम देश के लिए बुरा हो सकता है।
- पीएम को पाक के बारे में विदेश नीति पर सोचना चाहिए।
- विदेश नीति कोई गिल्ली डंडे का खेल नही है।
- उन्होंने कहा कि कभी आप नवाज शरीफ को बुलाएँ , कभी पाक चले जाए।
- वहीँ आप लाल किले से बलूच और गिलगिट की बात करके हमला करते हैं।
सलमान खुर्शीद के इस बयान पर कांग्रेस के अंदर ही सहमति नही दिख रही थी। पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मुख्य मुद्दा कश्मीर है। कश्मीर के हालात और वहां कर्फ्यू के बारे में बात होनी चाहिए। एक और नेता राजीव शुक्ला के सुर तो बिल्कुल ही अलग थे। उन्होंने पीएम के बयान से सहमति जताई। उन्होंने कहा कि पीएम का बलूच और गिलगिट को लेकर संबोधन सही था। साथ ही उन्होंने जोड़ा कि ये नरसिंहा राव की लाइन थी।
कांग्रेस खेमें में खलबली उस वक्त मच गई जब खुर्शीद ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि-
- मैं उस वक्त विदेश राज्य मंत्री था।
- सरकार की बलूच को लेकर ऐसी कोई लाइन थी ही नहीं।
- जो ये बोल रहा है, पूरी तरह गलत है।
- उसे मामले की कोई भी जानकारी नही है।
माहौल बिगड़ते देखकर पार्टी ने तुरंत सलमान खुर्शीद के बयान को व्यक्तिगत करार दे दिया। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ये उनका व्यक्तिगत बयान है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बदलते सुर पार्टी के लिए मुसीबत बन गए हैं। फ़िलहाल पार्टी बलूच पर चुप्पी साधे बैठी है।