उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी में मचा घमासान अब पार्टी को तोड़ने की कगार पर ले आया है। समाजवादी ‘साइकिल’ पर समाजवादियों में महाभारत छिड़ी हुई है। जिसके लिए रण क्षेत्र दिल्ली स्थित चुनाव आयोग को बनाया गया है। शुक्रवार 13 जनवरी को चुनाव आयोग ने पार्टी में दोनों गुटों को एक साथ एक ही समय पर बुलाया था। चुनाव आयोग का मानना था कि, वो बातचीत के माध्यम से मामले को सुलझा सकता है। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद चुनाव आयोग ने अपना फैसला सुना दिया है।
रसीद दिखाएँ या अलग-अलग साइकिल ले लें:
- सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग को समाजवादी साइकिल पर जो फैसला सुनाना है, वो इस प्रकार है।
- 25 साल से पार्टी है, सैकड़ों गाड़ियाँ खरीदने की हैसियत है, फिर भी एक अदनी सी साइकिल पर इतना विवाद क्यों?
- चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों से साइकिल खरीद की रसीद दिखाने को कहा है।
- रसीद ने दिखा पाने की स्थिति में आयोग ने कहा है कि,
- “सपा प्रमुख और अखिलेश यादव दोनों अलग-अलग साइकिल ले सकते हैं”।
- साथ ही आयोग ने कहा कि, चाहे तो सपा प्रमुख देशी साइकिल लें और अखिलेश विदेशी अर्थात रेंजर।
- जिसके बाद सपा प्रमुख ने अपने कार्यकर्ताओं को आदेश दिया कि, चुनाव की तैयारी छोड़कर रसीद ढूँढने में लग जाएँ।
चुनाव आयोग ने बताई वजह:
- आयोग के इस फैसले से सभी लोग हतप्रभ रह गए, जिस पर आगे चुनाव आयोग ने सफाई पेश की।
- चुनाव आयोग ने कहा कि, चूँकि, सपा प्रमुख जमीन से जुड़े नेता हैं तो वो ‘देशी स्टाइल’ वाली साइकिल ले लें।
- वहीँ चूँकि, अखिलेश हवा-हवाई और विदेश में पढ़े हुए नेता हैं इसलिए वे विदेशी स्टाइल की रेंजर साइकिल ले सकते हैं।
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