करीब 11 साल पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक दर्दनाक घटना हुई थी। राजधानी की सड़को ने उस दिन हैवानियत का मंजर अपनी आंखो से देखा था। दरअसल, 11 साल पहले कुछ दरिंदों ने 13 साल की एक मासूम बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाया था। रईसजादों ने बड़ी ही बेरहमी से गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था और पुलिस प्रशासन आंखे मूंदे बैठा रहा।
- हद तो तब हो गई, जब पीड़िता को इंसाफ के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रहीं है।
- 11 साल पहले हुई इस घटना में पीड़िता को आज तक इंसाफ नहीं मिल सका है।
- बता दें, कि इस केस में शामिल 5 आरोपियों पर 2007 में ही दोष सिद्ध हो चुका था।
- जबकि एक अन्य दोषी के ऊपर 2013 में आरोप सिद्ध हो गया।
- इनमे से एक आरोपी की कुछ साल पहले सड़क दुर्घटना में मौत हो गई।
- जबकि दो आरोपियों ने खुद को घटना के वक्त नाबालिग बताया है।
क्या है मामलाः
- 11 साल पहले लखनऊ में मनचलों ने 13 साल की एक नाबालिग बच्ची को अपना हवस का शिकार बनाया था।
- भाई की दवा लेकर जा रही इस बच्ची को दरिंदो ने कार के अंदर खींच लिया और चलती हुई कार में अपनी हवस का शिकार बनाया।
- हैवानों ने लड़की को बुरी तरह से मारा-पीटा और चिल्लाने पर एक दरिंदे ने लाइटर से उसके बालों को जला दिया।
- इस घटना के बाद भी लड़की को मानसिक और सामाजिक रूप में क्षति पहुंचाने की कोशिशें की गयीं।
- पुलिस की बेबसी का आलम यह रहा कि, घटना के कुछ दिन बाद ही लड़़की को अपना स्कूल छोड़़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
- लडकी के घरवालों पर कई बार जानलेवा हमला करवाया गया।
- अपने ऊपर होने वाले इन हमलों के बाद भी ये लड़की हालातों से लड़ती रही। उसे उम्मीद थी कि एक दिन उसे न्याय जरूर मिलेगा।
- लेकिन दिल को दहला देने वाली इस घटना के 11 साल बाद भी ये मासूम बच्ची अदालत से अपने ऊपर हुए जुल्म का हिसाब मांग रही है।
आज तक नहीं मिला इंसाफः
- ये मामला पिछले 11 सालों से अदालत में चल रहा है और अभी तक इस मामले को लेकर कोई अन्तिम फैसला नही आ पाया है।
- इस लड़की को जिन पांच लड़़को ने अपनी हवस का शिकार बनाया था उनमें से एक लड़का प्रदेश की एक बड़ी राजनैैतिक घराने से ताल्लुक रखता है।
- इस लड़के का नाम आर के एस शुक्ला है जिसकेे परिवार का प्रदेश की राजनीति में सीधा दखल है।
- लड़के के घरवाले पिछले कई सालों से लड़़की को तंग करते आ रहे हैं।
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2 करोड़़ मामले हैं लंबितः
- मालूम हो, कि भारत में आज भी लगभग 2 करोड़़ रेप के मामले ऐसे है जो पिछले 10 सालों से लंबित हैं।
- आकड़ों के मुताबिक रेप के जो मामले अदालत तक पहुंचे है उनमें से केवल 1 प्रतिशत मामलों में ही फैसला हो सका है।
- 2012 में दिल्ली में हुऐ निर्भया कांड के बाद महिलाा अधिकारों के लिए काम करने वाले कई सगठनों ने रेप केे मामलों को लेकर फास्ट ट्रेक कोट्र बनवाने की मांग की लेकिन आज भी इन मामलों को लेकर अदालत की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
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