पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध भले ही बहुत मधुर न हों, लेकिन वैवाहिक तथा मित्रता के संबंध बड़े मधुर हैं। बरेली के एक युवक के नाम मोहब्बत का पैगाम लेकर आई है। इसके लिए बरेली के बिहारीपुर से बकायदा एक बरात लाहौर गई थी।

सभी मेहमानों का किया गया यादगार इस्तकबाल

ऐसा अरसे बाद हुआ है जब भारत व पाकिस्तान के बीच कड़े वीजा नियमों से गुजरकर बरेली से बरात लाहौर गई। वहां जोश-ओ-खरोश के साथ निकाह और शादी की तमाम रस्म हुईं। दूल्हे समेत सभी मेहमानों का यादगार इस्तकबाल किया गया तो बरेली में आने पर सभी ने दुल्हन को हाथों हाथ लिया। किसी ने नजर उतारी तो किसी ने सुभान अल्लाह कहा।

पाकिस्तान से मोहब्बत का पैगाम
पाकिस्तान से मोहब्बत का पैगाम लाई दुल्हन

अफसा शेख बन गईं सेलिब्रिटी

पाकिस्तान में अलीशान सभी के चहते रहे तो बरेली में अफसा शेख सेलिब्रिटी बन गईं। सबसे खास यह कि यह शादी दोनों देशों के अवामी रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने का जरिया बन गई। दूल्हे के पिता कहते हैं, खुश हूं कि पाकिस्तान में शादी का मेरा मकसद पूरा हो गया।

शादी करके दिया मोहब्बत का पैगाम

बरेली के ईंट भट्टा कारोबरी वसीम इम्तियाज के 24 वर्षीय बेटे ने पड़ोसी देश पाकिस्तान के इलेक्ट्रॉनिक व्यवसायी सुहेल अख्तर की 18 वर्ष की बेटी से शादी करके मोहब्बत का पैगाम दिया है। दोनों ही परिवार देश की आजादी के बाद हुए बंटबारे के समय एक दूसरे से जुदा हो गए थे। दूल्हा मोहम्मद अलीशान वसीम के चाचा आसिम इम्तियाज बताते हैं कि हफ्जा उनके मामू अख्तर हुसैन की पोती हैं। हफ्जा की पढ़ाई लाहौर में हुई है। उन्होंने लाहौर से ग्रेजुएशन किया है।

पाकिस्तान से मोहब्बत का पैगाम
पाकिस्तान से मोहब्बत का पैगाम लाई दुल्हन

दुल्हन बोली पाकिस्तान से लाई हूं मोहब्बत

दुल्हन अफसा शेख ने बताया कि पाकिस्तान से मोहब्बत का पैगाम लेकर आई हूं। यहां आने से पहले मन में तमाम तरह के शक व शुबहात (आशंकाएं) थीं। अब यहां आकर ऐसा लग ही नहीं रहा कि लाहौर के बजाय हिंदुस्तान के बरेली शहर में हूं। बस, लोगों के बोलने का अंदाज जुदा है, अपनापन वैसा ही है, जैसा पाकिस्तान में है।

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