यूपी के कानपुर जिला स्थित हैलेट अस्पताल में उस समय हड़कंप मच गया जब कर्मचारियों की लापरवाही के चलते एमआरआई मशीन में ऑक्सीजन सिलेंडर अचानक चिपक गया। सिलेंडर चिपकने से अफरा तफरी मच गई और मरीज का इलाज लटक गया। (हैलेट अस्पताल की एमआरआई मशीन)
तीब्र चुम्बकीय क्षेत्र वाला होता एरिया (हैलेट अस्पताल की एमआरआई मशीन)
बता दें कि मशीन के आस-पास का एरिया तीब्र चुम्बकीय क्षेत्र वाला होता है। यहां लोहा समेत किसी भी धातु का सामान ले जाना मना होता है। कर्मचारी सिलेंडर लेकर कंसोईल रूम में घुस गया। अंदर जाते ही ऑक्सीजन का सिलेंडर खिंचकर मशीन में चिपक गया। इसी के साथ मशीन बंद हो गई और वहां हड़कंप मच गया। आनन-फानन में डॉक्टरों ने मरीज को एमआरआई रूम से बाहर निकाला गया। इस मामले में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि कंपनी के इंजीनियर के आने के बाद सिलेंडर को बाहर निकाला जा सकेगा। इसमें लगभग एक सप्ताह से अधिक का समय लगेगा। तब तक एमआरआई जांच ठप रहेगी।
अलग खोला गया लाइफ लाइन एमआरआई सेंटर
कानपुर के सरकारी हैलेट अस्पताल में मौजूद लाइफ लाइन एमआरआई सेंटर में मशीन के अंदर ऑक्सीजन सिलेंडर फंस गया। हुआ यूं अस्पताल के आईसीयू में भर्ती महेन्द्र तिवारी को ब्रेन ट्यूमर हुआ था। अस्पताल का वार्डबॉय एमआरआई कराने गए मरीज के साथ ही ऑक्सीज़न सिलेंडर लेकर अंदर चला गया। अंदर जाते ही मशीन ने सिलेंडर को अपनी तरफ खींच लिया जिससे सिलेंडर मशीन में फंस गया।
मरीज को ही लगा था ऑक्सीजन सिलेंडर
हैलट अस्पताल के अंदर रियायती दामों पर मरीजों का एमआरआई व सीटी स्कैन कराने के लिए सरकार ने प्राइवेट सेंटर खोला है। इसी सेंटर में सरकारी अस्पताल का वार्डबॉय मरीज को लेकर गया था। उसकी लापरवाही कहेंगे कि उसने मरीज का ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं हटाया लिहाजा मशीन में सिलेंडर चिपक गया और मशीन को ठीक करने के लिए इंजीनियर को बुलाया गया है। अस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर एके पाण्डेय का कहना है कि जब तक मशीन ठीक नहीं हो जाती तब तक मरीजों को बाहर से एमआरआई व सी टी स्कैन कराना होगा। (हैलेट अस्पताल की एमआरआई मशीन)
50 लाख रुपए का नुकसान होने की आशंका
मशीन में सिलेंडर फंस जाने से लाइफ लाइन एमआरआई सेंटर में एमआरआई जांच लगभग एक सप्ताह के लिए बंद हो गई हैं। कंपनी का इंजीनियर आने के बाद ही मशीन से पिस्टल को निकाला जा सकेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक मशीन को बंद करके उसका चुंबकीय क्षेत्र खत्म नहीं किया जाएगा। तब तक सिलेंडर को नहीं निकाला जा सकता। यह काम कंपनी के इंजीनियर के आने के बाद ही होगा। इसमें एक सप्ताह या उससे अधिक का समय भी लग सकता है। बताया जा रहा है कि पांच करोड़ से भी अधिक लागत की एमआरआई मशीन 3 टेस्ला पावर की है। यह काफी शक्तिशाली चुंबकीय शक्ति वाली है। इसको सही करने में करीब 50 लाख रुपए का नुकसान होने की आशंका है।
इससे पहले पीजीआई और लोहिया में भी हो चुका हादसा
बता दें कि इससे पहले लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में 20 सितंबर 2012 को ऐसा हादसा हो चुका है। वहां एमआरआई मशीन के अंदर ऑक्सीजन सिलेंडर फस गया था। तीमारदार की गलती से हुई इस घटना के कारण किसी की जान नहीं गई थी। लेकिन 5 करोड़ रुपए की मशीन क्षतिग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में तीमारदार ऑक्सीजन सिलेंडर सहित एमआरआई कमरे में घुस गया था। वह जैसे ही कमरे में घुसा था वैसे ही मशीन के चुम्बक ने पालक झपकते ही उसे अपनी ओर खींच लिया। अचानक सिलेंडर मशीन में फंस जाने से अफरा-तफरी मच गई थी। इससे मरीजों को हलकी-फुलकी छोटे आई थी। करीब 10 दिन बाद मशीन की मरम्मत की सकी थी।
वहीं 02 जून 2017 को डॉ. राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में खादी ग्राम उद्योग मंत्री सत्यदेव सिंह पचौरी के गनर (सैडो) मुकेश शर्मा की पिस्टल एमआरआई मशीन में फंस गई थी। मशीन वाले कमरे में लोहा समेत किसी भी धातु का सामान ले जाना मना होता है। बार-बार रोके जाने के बावजूद मुकेश नहीं माना और पिस्टल लेकर कंसोईल रूम में घुस गया। अंदर जाते ही उसकी कमर में लगी पिस्टल खिंचकर मशीन में जा घुसी थी। इसे सही करने में करीब एक सप्ताह का वक्त और पचास लाख रुपये का खर्चा आया था। (हैलेट अस्पताल की एमआरआई मशीन)